बिहार का सबसे बड़ा सियासी लालू परिवार एक बार फिर से सीबीआई के रडार पर है. जिस तरीके से लालू परिवार पर शिकंजा कसा जा रहा है. उससे लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ेगी और संभव है कि परिवार की राजनीति भी प्रभावित होगी. केंद्र सरकार के इशारे पर सीबीआई का यह शिकंजा लालू परिवार के लिए मुश्किलों वाला बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि जिस तरह से सीबीआई के जरिये लालू परिवार की घेराबंदी की गई है, लोकसभा चुनाव तक इसमें बड़ी कार्रवाई की जा सकती है. राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है. नौकरी के बदले जमीन वाले मुक़दमे में जिस तरह से सीबीआई एक्टिव हुई है. उसके पीछे राजनीतिक खेल है. हालांकि यह मुकदमा पहले से ही चल रहा था, लेकिन जैसे ही लालू और नीतीश का गठबंधन हुआ है और बीजेपी सत्ता से बेदखल हुई है, बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव की चिंता बढ़ गई है. जानकार मानते हैं कि अगर बीजेपी लालू परिवार को कमजोर नहीं कर पाती और नीतीश कुमार को बदनाम नहीं कर पाती तब तक उसे बिहार में कुछ मिलने की सम्भावना कम ही दिखाई पड़ती है.
सीबीआई ने 7 अक्टूबर को पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ भूमि – नौकरी घोटाले के मामले में चार्जशीट दाखिल की है. लालू की बेटी मीसा भारती और रेलवे के एक पूर्व महाप्रबंधक को भी हाल ही में सीबीआई की विशेष अदालत में दायर आरोप पत्र में आरोपी बनाया है. सीबीआई ने 23 सितंबर, 2021 को प्रारंभिक जांच की थी, जिसे इस साल 18 मई को प्राथमिकी में बदल दिया गया था.
मामला केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान हुए जमीन के बदले नौकरी संबंधी कथित घोटाले का है. जांच एजेंसी के मुताबिक उम्मीदवारों की ग्रुप डी में नियुक्ति की गई थी. इसके बदले नौकरी पाने वालों ने अपनी जमीन दी थी. सीबीआई का दावा है कि यह जमीन लालू की पत्नी राबड़ी देवी और बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव के नाम की गई थी, जब लालू यादव 2004 में रेल मंत्री थे.
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि पटना में करीब 1.05 लाख वर्ग फुट जमीन लालू प्रसाद यादव के परिवार वालों ने विक्रेताओं को नकद भुगतान कर अधिग्रहित की थी. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि उपरोक्त उक्त सात भूखंडों का वर्तमान मूल्य, जिसमें उपहार विलेख के माध्यम से प्राप्त भूमि भी शामिल है, मौजूदा सर्कल रेट के अनुसार लगभग 4.39 करोड़ रुपये है.
पूछताछ में पता चला है कि जमीन का पार्सल जिसे सीधे खरीदा गया था, लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों को विक्रेताओं से प्रचलित सर्किल दरों की तुलना में कम दरों पर खरीदा गया था. इसमें आगे आरोप लगाया गया कि कि जाली दस्तावेजों के आधार पर बिना किसी विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी किए रेलवे में लोगों को नियुक्त किया गया था.
इस मामले में लालू प्रसाद यादव के ओएसडी रहे भोला यादव को जुलाई में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. भोला यादव 2005-2009 तक लालू प्रसाद के ओएसडी थे. जांच एजेंसी ने उनके कई ठिकानों पर छापे मारे थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने रेलवे में नौकरी देने के बदले कई परिवारों की जमीन को पूर्व मंत्री के करीबी लोगों को बेंच दी थी या फिर उपहार स्वरूप भेंट की थी.