Sunday, September 8, 2024
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जब सांसद ही घृणा और नफरत का प्रचार करेंगे तो देश में कानून-व्यवस्था का क्या होगा ? हकीमुद्दीन कासमी

 

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में आयोजित हुई पंचायत में मुसलमानों के खिलाफ बहुसंख्यक वर्ग को उकसाने, मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने और उनके समाजी बहिष्कार पर अपनी कड़ी नाराजगी और चिंता जाहिर की है. मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने मांग करते हुए कहा है कि ऐसे लोगों को कुछ ऐसी सजा दी जाए ताकि लोग उसे याद रखें और जो लोग एक विशेष वर्ग को उग्र करके देश में अशांति और अराजकता का वातावरण पैदा कर रहे हैं, वो इस तरह की हरकतों से बाज़ रहें.

 

खबरों के मुताबिक, उन्होंने कहा कि ये बड़े फिक्र और चिंता बात है कि प्रवेश वर्मा देश की सत्ताधारी पार्टी के सांसद हैं. बावजूद इसके उनको अपने संविधान और उसके अनुसार ली गई शपथ की रत्तीभर पर चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सांसद जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन व्यक्ति इस तरह का बयान देगा तो फिर देश में कानून-व्यवस्था का क्या होगा ?

 

जमीयत के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि इस संबंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री को एक पत्र लिखा गया है. इसमें कहा गया है कि नफरत फैलाने वाले भाषण देश के लिए अभिशाप हैं. इसलिए एक जिम्मेदार और अमनपसंद नागरिक होने के नाते हम आपसे अनुरोध करते हैं कि दिल्ली की इस घटना का गंभीरता से संज्ञान लें और संबंधित अधिकारियों को भी निर्देश दें कि वह न सिर्फ कार्यक्रम के आयोजकों के विरुद्ध बल्कि उन सभी व्यक्तियों के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई करें जिन्होंने मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी की है, ताकि नफरत फैलाने वालों को कड़ी सजा मिल सके.

 

बता दें कि स्थानीय स्तर पर हालात का जायज़ा लेने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में सुंदरनगरी और उसके आसपास के क्षेत्रों का दौरा किया. इस दौरान जमीयत के क्षेत्रीय जिम्मेदारों से मुलाकात की और लोगों से अमन-शांति बनाए रखने की अपील की.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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