बिहार के चारा घोटाला में राजद प्रमुख लालू प्रसाद की मुश्किलें अब और बढ़ेगी|
प्रवर्तन निदेशालय ने बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव समेत 45 लोगों पर मनी लाउंड्रिंग के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है| इडी ने यह कार्रवाई सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश के आदेश के आलोक में की|
सीबीआइ के तत्कालीन विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने चारा घोटाले के आरसी 38ए-96 और आरसी 45ए-96 मामले में दोषी करार अभियुक्तों और मृत अभियुक्तों द्वारा घोटाले के पैसों से खरीदी गयी संपत्ति को जांच के बाद जब्त करने का आदेश दिया था|
उन्होंने सीबीआई निदेशक को निर्देश दिया था कि वह इसकी जांच इडी से कराने की व्यवस्था करें| न्यायालय के इस आदेश पर इडी ने पहले चरण में सिर्फ उन्हीं लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया है, जिन्हें इन दोनों मामलों में सजा सुनायी जा चुकी है|
उल्लेखनीय है कि मनी लाउंड्रिग के मामले में अभियुक्तों की मृत्यु होने पर भी कार्रवाई करते हुए संबंधित संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान है|
सीबीआई के तत्कालीन न्यायाधीश ने दुमका ट्रेजरी से 3.76 करोड़ की फर्जी निकासी के मामले में 19 मार्च 2018 को फैसला सुनाया था|
इसमें लालू प्रसाद सहित 19 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया था. अदालत ने लालू प्रसाद को सात-सात साल की सजा दी थी और 60 लाख रुपये का दंड लगाया था साथ ही दोनों|
सज़ाओं को अलग-अलग चलाने का आदेश दिया था. इससे लालू प्रसाद की सज़ा कुल 14 साल हो गयी थी. इस मामले में दोषी करार दिये गये अभियुक्तों में पूर्व विकास आयुक्त फूलचंद सिंह भी शामिल है|
बता दें कि आरसी 38ए-96 मामले में कुल 48 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था| इसमें 12 को बरी कर दिया गया था|
बरी होने वाले बड़े अभियुक्तों में रांची के तत्कालीन आयकर आयुक्त एसी चौधरी, ध्रुव भगत, जगदीश शर्मा और आरके राणा के नाम शामिल हैं. सुनवाई के दौरान ही 13 अभियुक्तों की मौत हो गयी थी |इसमें पूर्वी मंत्री भोला राम तूफानी और चंद्रदेव प्रसाद वर्मा के नाम शामिल हैं|
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 45ए-96 में नौ अप्रैल 2018 को फैसला सुनाया था. इस मामले में अभियुक्त बनाये गये 60 में से 37 को दोषी करार दिया गया था| इस मामले में पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अलावा सप्लायरों को अभियुक्त बनाया गया था| अभियुक्तों पर दुमका ट्रेजरी से ही 34.91 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी का आरोप लगाया गया था|
गौरतलब है कि तत्कालीन प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी राजीव अरुण एक्का (मुख्यमंत्री के वर्तमान प्रधान सचिव) की शिकायत पर यह प्राथमिकी दर्ज की गयी थी| अदालत ने इन दोनों ही मामलों में दोषी करार अभियुक्तों के अलावा मृत अभियुक्तों द्वारा एक जनवरी 1990 के बाद घोटाले की राशि से अर्जित संपत्ति को नियमानुसार, सरकार के पक्ष में जब्त करने का आदेश दिया था| साथ ही सीबीआई के निदेशक को यह आदेश दिया था कि वह इस मामले की जांच इडी से कराने की व्यवस्था करे |
अदालत ने दोनों मामलों में कुल 56 अभियुक्तों को सजा दी थी| कुछ अभियुक्तों के दोनों ही मामलों में शामिल होने की वजह से अभियुक्तों की वास्तविक संख्या 45 है|
इसलिए इडी ने पहले चरण में सिर्फ 45 लोगों को ही अपनी प्राथमिकी में नामजद अभियुक्त बनाया है. जांच के अगले चरण में मृत अभियुक्तों और एप्रुवर के मामले को शमिल किया जायेगा|