रेवड़ी कल्चर यानी मुफ्त में जनता को दी जाने वाली सुविधाएं. पिछले महीने पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर हमला करने के लिए रेवड़ी कल्चर पर हमला किया था. खासकर उनका निशाना आम आदमी पार्टी पर था. बीजेपी को लग रहा है कि जिस तरह से आप की राजनीति मुफ्त कल्चर के जरिये वोटों को उगाह रही है उससे बीजेपी की राजनीति प्रभावित हो रही है. गुजरात में इस साल चुनाव होने हैं और आप पार्टी वहाँ मुफ्त कल्चर के जरिये अपनी पैठ बना रही है. बीजेपी पर इसका ख़ासा असर पड़ता दिख रहा है. बीजेपी को यह भी लगता है कि पंजाब में आप ने इसी राजनीति के जरिए सरकार बनाने में सफल हुई है.
अब मुफ्त कल्चर पर राजनीति शुरू हो गई है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है. राजनीतिक दलों द्वारा लोगों के बीच मुफ्त में दी जाने वाली चीजों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है. इसपर राजनीतिक दलों को गंभीरता से विचार करना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे पर चुनाव आयोग और सरकार दोनों ध्यान दें और इस बात पर विचार करें कि इस कल्चर को कैसे खत्म किया जा सकता है.
गौरतलब है कि चुनावों में मुफ्त की घोषणा वाले वादों के खिलाफ अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें याचिकाकर्ता के वकील मुफ्त में देने की राजनीति के कारण कैसे राज्य और देश की जनता पर बोझ बढ़ता है इसपर चर्चा की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नीति आयोग, वित्त आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, विधि आयोग और चुनाव आयोग से इस बारे में राय पेश करने को कहा है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुफ्त में देने के वादों वाली राजनीति पर सवाल उठाये थे.
इधर, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुफ्त में बांटने वाली राजनीति देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत घातक है. तुषार मेहता ने कहा कि मुफ्त की आस में लोगों का मानसिकता में बदलाव आता है. इससे देश आर्थिक नुकसान की ओर बढ़ने लगता है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब इस जनहित याचिका पर 11 अगस्त को सुनवाई हो.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से कहा है कि वो इस मुद्दे पर ध्यान दें. कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट में इस जनहित याचिका पर अब 11 अगस्त को सुनवाई होगी. जाहिर है कि जो चीज मुफ्त में दी जाती है उसे कहीं न कहीं से खरीदा जाता है जिसमें पैसा लगता है ऐसे में घाटा भी बढ़ता जाता है.
उधर बीजेपी सांसद भी अब इस मसले पर तल्ख़ दिख रहे हैं. वरुण गाँधी ने कहा कि आम जनता को मिलने वाले मुफ्त की सुविधाओं पर सवाल उठाने से पहले क्यों न चर्चा की शुरुआत सांसदों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सभी सुविधाओं को खत्म करने से हो. बीजेपी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा ”मुफ्तखोरी की संस्कृति” समाप्त किए जाने के बारे में राज्यसभा में चर्चा की मांग किए जाने से संबंधी नोटिस का उल्लेख करते हुए वरुण ने एक ट्वीट में कहा कि जनता को मिलने वाली राहत पर ऊंगली उठाने से पहले ”हमें अपने गिरेबां” में जरूर झांक लेना चाहिए.
उन्होंने कहा, ”क्यों न चर्चा की शुरुआत सांसदों को मिलने वाली पेंशन समेत अन्य सभी सुविधाएं खत्म करने से हो?” एक ट्वीट में वरुण गांधी ने पिछले पांच सालों में बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों की ओर से सिलेंडर दोबारा न भरवाने का मुद्दा उठाया और कहा कि पिछले पांच सालों में 4.13 करोड़ लोग सिलेंडर को दुबारा भरवाने का खर्च एक बार भी नहीं उठा सके, जबकि 7.67 करोड़ ने इसे केवल एक बार भरवाया.