Home देश कांग्रेस में बड़े स्तर पर सर्जरी की तयारी, कइयों की होगी छुट्टी

कांग्रेस में बड़े स्तर पर सर्जरी की तयारी, कइयों की होगी छुट्टी

0
कांग्रेस में बड़े स्तर पर सर्जरी की तयारी, कइयों की होगी छुट्टी

पांच राज्यों में अपना सब कुछ खो चुकी कांग्रेस भविष्य को लेकर काफी चिंतित है. पार्टी को लगने लगा है कि अगर अब भी सही निर्णय नहीं लिए गए तो पार्टी को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा. यही वजह है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन में बड़े स्तर पर सर्जरी की तैयारी चल रही है. अगले 15 दिन के अंदर बड़े बदलाव किए जा सकते हैं. इसके तहत उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाएंगे. इसके अलावा कुछ राज्यों में महासचिवों और सचिवों की छुट्‌टी भी हो सकती है.
कांग्रेस की सबसे बड़ी परेशानी पार्टी के भीतर गुटबाजी रही है. पिछले दिनों हरियाणा कांग्रेस की बैठक हुई और बैठक के दौरान ही आपस में ही नेता एक दूसरे के खिलाफ झगड़ने लगे. एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे. पार्टी की चिंता अब अगले विधान सभा चुनाव को लेकर है. आगामी विधानसभा चुनावों की लिस्ट में शामिल हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत तमाम अन्य राज्यों में संगठन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस आलाकमान के स्तर पर नई रणनीति पर काम चल रहा है. इसमें मुख्य रूप से हर राज्य में संगठन के भीतर नेताओं के आपसी टकराव को खत्म करने पर फोकस है. पंजाब और उत्तराखंड में जिस तरह से कांग्रेस की हार हुई है, उसकी सबसे बड़ी वजह संगठन के भीतर आपसी टकराव को ही माना जा रहा है. चुनावी राज्यों में ये वाकया दोबारा न हो, इसके लिए पार्टी के नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है.
पार्टी के भीतर गुटबाजी न हो इसको लेकर कई स्तर पर काम किया जा रहा है. लगातार चुनावी राज्यों के नेताओं के साथ बैठक की जा रही है. इस सिलसिले में पिछले दिनों दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हिमाचल प्रदेश के नेताओं के साथ मीटिंग की और गुटबाजी खत्म करने की नसीहत दी. वहीं, शुक्रवार को राहुल गांधी ने हरियाणा के नेताओं से इसी सिलसिले में मुलाकात की. राहुल गांधी ने सभी से अपील की कि आपसी तकरार खत्म करके पार्टी के लिए एकजुट होकर काम करें. फिलहाल सभी नेताओं को अपना व्यक्तिगत एजेंडा दरकिनार करने के लिए नसीहत दी गई है, जिससे पार्टी को राज्य में फिर खड़ा करने में मदद मिले.
इसी साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं. पार्टी को लग रहा है कि पांच राज्यों में मिली हार के बाद अगर गुजरात और हिमाचल में पार्टी की वापसी होती है तो पार्टी को लोकसभ चुनाव के लिए ताकत मिलेगी. गुजरात में भाजपा के मजबूत किले को भेदना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. गुजरात को लेकर कांग्रेस की गंभीरता इसी बात से समझी जा सकती है कि वहां संगठन को मजबूत करने के लिए 25 नए उपाध्यक्ष, 75 महासचिव और 17 शहर और जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं.
कुछ महीने पहले ही पार्टी ने राजस्थान के रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बनाया है. देखना दिलचस्प होगा कि रघु शर्मा पीएम मोदी और अमित शाह के गृह राज्य में किस तरह से पार्टी को खड़ा करने में सफल हो पाते हैं और चुनाव में कांग्रेस को कितनी माइलेज दिला पाते हैं.
दिसंबर 2023 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमान अभी कमलनाथ के पास है. वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के अलावा नेता प्रतिपक्ष की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. चर्चा है कि आने वाले दिनों में कमलनाथ के पास केवल एक ही जिम्मेदारी रह जाएगी। संगठन की जिम्मेदारी किसी नए व्यक्ति को दी जाएगी, ताकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी में नया जोश भरा जा सके और कांग्रेस भाजपा से मुकाबला कर सके.
कांग्रेस के लिहाज से राजस्थान बेहद महत्वपूर्ण राज्य है, लेकिन इस राज्य में गहलोत और पायलट गुट के बीच टकराव पिछले तीन साल से लगातार जारी है. इस टकराव को खत्म करने के लिए कांग्रेस आलाकमान की ओर से बार-बार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले दो दशक से अधिक समय से यहां हर पांच साल पर सरकार बदलने की परम्परा रही है. ऐसे में कांग्रेस यहां दोबारा सत्ता में आने के लिए क्या कदम उठा रही है, यह देखना दिलचस्प होगा.
छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार है. 15 साल से जमी भाजपा की रमन सरकार को हटाकर कांग्रेस पूरे बहुमत से सत्ता में आई थी, लेकिन यहां भी कांग्रेस गुटबाजी से अछूती नहीं है. यहां सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव गुट के बीच विवाद दिल्ली दरबार तक पहुंचा है. इस विवाद को खत्म कराने में कांग्रेस आलाकमान ने पुरजोर कोशिश की है और ये एक्सरसाइज लगातार जारी है. 2023 के विधानसभा चुनाव में इस गढ़ को बचाना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
कांग्रेस की ओर से कुछ राज्यों के महासचिव और सचिवों को भी बदलने की तैयारी है. इसके लिए पार्टी में होमवर्क किया जा रहा है. जमीन पर कांग्रेस को मजबूती देने की रणनीति तैयार की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक 10 से 15 फीसदी तक नए महासचिव बनाए जाएंगे, जबकि 20 से 25 फीसदी नए सचिव बनाए जाएंगे. पुराने पदाधिकारियों को हटाया जाना तय माना जा रहा है. इसके लिए उनके कामकाज का मूल्यांकन किया जा रहा है.

Previous article योगीराज का मदरसों पर नया फरमान, प्रार्थना से पहले राष्ट्रगान अनिवार्य
Next article देशभक्ति बजट के बाद दिल्ली सरकार ने आज पेश किया रोजगार बजट
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here