अग्निपथ योजना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार जबरदस्त दबाव में है. पिछले पांच दिन से हिंसक प्रदर्शन जारी हैं. भारत बंद के अहवाहन और प्रदर्शनकारी युवाओं के दिल्ली कूच के एलान ने संकट और बढ़ा दिया है. बीजेपी और मोदी सरकार पहले से ही इस स्कीम को लेकर सवालों के घेरे में है, अब विपक्ष इस मामले को लेकर आरएसएस को भी कटघरे में खड़ा करने लगा है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि कहीं ये योजना आरएसएस का एजेंडा तो नहीं है, जिसके सहारे वो सेना पर नियंत्रण ले सके.
जेडीएस नेता ने आशंका जताते हुए कहा कि अग्निपथ योजना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के “छिपे हुए एजेंडे” का हिस्सा हो सकती है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने रविवार को रक्षा बलों के लिए केंद्र की नई भर्ती नीति पर सवाल उठाते हुए ये बातें कहीं. उन्होंने इस दौरान हिटलर और नाजी पार्टी की याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने भी कुछ ऐसा ही किया था.
मीडिया से बात करते हुए कुमारस्वामी ने कहा- “यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में दिल्ली में बात की जानी चाहिए, यहां नहीं. सरकार को अग्निपथ योजना की अवधारणा किसने प्रदान की है? क्या इसके लिए संसदीय समिति की कोई सिफारिश थी? क्या रक्षा बलों के लिए 10 लाख लोगों की भर्ती के लिए अग्निपथ नामक एक नया कार्यक्रम बनाने का प्रस्ताव था? क्या रक्षा प्रतिष्ठान की ओर से कोई सुझाव था? सुझाव किसने दिया है?”
उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए आगे कहा कि इन 10 लाख युवाओं में से जो सेना में भर्ती होंगे वो क्या आरएसएस की इकाइयों में प्रशिक्षित उम्मीदवार होंगे? उन्होंने कहा- “कुछ युवाओं को आरएसएस द्वारा प्रशिक्षित किया गया है और कार्यकर्ताओं के रूप में बनाए रखा गया है. क्या उन्हें सेना में रोजगार देने की योजना है? क्या यह ऐसे उम्मीदवारों को 2.5 लाख भर्तियां प्रदान करने की व्यवस्था है?”
इससे पहले सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने भी मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए अग्निपथ स्कीम को सरकारी खर्च पर आरएसएस कैडर को ट्रेंड करने की स्कीम करार दिया था. पार्टी अध्यक्ष एम के फौजी की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया था कि अग्निपथ आरएसएस कैडर्स को सैन्य ट्रेनिंग देने के लिए बड़ी चालाकी से एक सुनियोजित स्कीम लाई गई है.