Friday, November 22, 2024
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इट्स हैपेंस ओनली इन बिहार, बिना बेहोश किए दर्द से छटपटाती दर्जनों महिलाओं के मुंह दबाकर ऑपरेशन का खुलासा

अखिलेश अखिल

कुछ महीने पहले कान का इलाज कराने पटना के एक अस्पताल पहुंची एक लड़की को डॉक्टर ने हाथ काट कर अपंग बना दिया. लड़की रोती चिल्लाती रही, मगर डॉक्टर नहीं माना और उसका एक हाथ काट दिया. बाद में अंजाम क्या हुआ कौन जाने लेकिन युवा लड़की की शादी नही हुई और अब वह रात दिन रोती रहती है. इस तरह की ढेरों घटनाएं बिहार में आए दिन घटती है और देश अवाक हो जाता है. नीतीश कुमार पिछले दो दशक से बिहार को चला रहे हैं लेकिन बिहार का स्वास्थ और उसकी शिक्षा को नही सुधर सके हैं. जिस राज्य में स्वास्थ और शिक्षा की हालत माली हो वहा और सभी बातें बेकार की होती है. सच यही है कि एक तरफ पूरा सरकारी तंत्र भ्रष्ट हो चला है और सभी नेता रूपी जीव और मंत्री ठग, बेईमान और अपराधी कृत्य में शामिल हैं. और जनता की तो बात ही मत पूछिए. इन्ही नेताओं अधिकारियों और मंत्रियों के साथ मिलकर बिहार की बड़ी आबादी सरकारी योजनाओं की लूट में शामिल है और चंदन टीका लगाकर नकली कृत्य से मालामाल हो रही है. बिहार का यह अजूबा सच लुभाता भी है और भरमाता भी है.

सुनने में भले ही अटपटा लगे लेकिन बिहार का एक सच ये भी है कि सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन करने का ठेका निजी कंपनियों को से दिया गया है. निजी संस्था को सरकारी अस्पतालों में बंध्याकरण ऑपरेशन का ठेका देकर स्वास्थ्य विभाग सो गया है. अभी इसका जो खुलासा हुआ है उससे पूरा देश अचंभित है. खगड़िया के सरकारी अस्पतालों में निजी संस्था द्वारा सरकारी मापदंड व प्रावधान को ताक पर रख कर बंध्याकरण ऑपरेशन के दौरान महिलाओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़ का खेल चल रहा है. पहले परबत्ता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एफआरएचएस नामक निजी संस्था द्वारा ऑपरेशन के दौरान खुलकर लापरवाही सामने आयी थी और गड़बड़ी से जुड़े वीडियो वायरल भी हुए थे. अब पिछले सोमवार को अलौली अस्पताल में ग्लोबल डेवलपमेंट इनिटीवेट नामक दरभंगा की संस्था द्वारा ऑपरेशन के दौरान महिलाओं ने अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाया है.


खबर के अनुसार अलौली अस्पताल में बिना बेहोश किये ही महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया गया, इस दौरान महिलाएं दर्द से छटपटाती रही. चिल्लाने पर चार पांच लोग हाथ पैर पकड़ कर मुंह दबा दे रहे थे. प्रसव कराने आयी महिला का वायरल वीडियो सरकारी अस्पतालों में एनजीओ/निजी संस्था द्वारा किये जा रहे बंध्याकरण ऑपरेशन के दौरान धांधली की पोल खोल रहे हैं.
बता दें कि एक महिला के बंध्याकरण ऑपरेशन पर संस्था को सरकार 2170 रुपये का भुगतान करती है. कहा जाता है कि ज्यादा संख्या बढ़ाने के फेर में जैसे तैसे सरकारी प्रावधान व मापदंड को ताक पर रख कर बंध्याकरण ऑपरेशन कर जिदंगी से खिलवाड़ किया जा रहा है.
गौरतलब है कि अलौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले सोमवार को बंध्याकरण कैंप लगाया गया था. जहां आपरेशन कराने आई महिलाओं को बिना बेहोश किए ही चिकित्सक ने महिला के पेट में चीरा लगा दिया. इस दौरान दर्द से महिला जब चिल्लाने लगी तो डॉक्टर और नर्स सहित चार पांच लोगों ने मिलकर हाथ-पैर पकड़कर मुंह बंद कर जबरदस्ती आपरेशन कर दिया.
महिला दर्द से छटपटाती रही लेकिन डाक्टर और नर्स ने एक नहीं सुनी. ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं ने बताया कि बंध्याकरण ऑपरेशन के लिए आयी महिलाओं के साथ एनजीओ का व्यवहार सहित इलाज का तरीका खतरे से खाली नही है.
दरअसल बिहार में डॉक्टरी पेशा पूरी तरह से भ्रष्टाचार में संलग्न है. अधिकतर प्राइवेट डॉक्टर माफिया की तरह काम करते हैं. ये डॉक्टर नकली दवा बेचने से लेकर नकली टेस्ट करने और करवाने का खेल करते हैं. इस खेल में अनपढ़ ड्रग माफिया से लेकर नकली दवा विक्रेता और उसके एजेंट तो शामिल रहते ही है, ग्रामीण स्तर पर नकली नर्सों और कंपाउंडरों और आरएमपी प्रैक्टिसनरों की लंबी श्रृंखला खड़ी रहती है. दवा के इस अवैध खेल में कोई अपना पराया नही होता. ग्रामीण स्तर पर मरीजों को ढूंढा जाता है और मदद के नाम पर दलाली की जाती है.
बिहार में यह पेशा काफी फल फूल रहा है. बिहार में जितने अनपढ़ और कम पढ़े लिखे लोग है, उनमें से अधिकतर या तो राजनीति करते हैं या फिर ये भी लूट की इस कहानी में शामिल होते है. ये लूट सरकारी योजनाओं की हो या फिर शिक्षा या स्वास्थ्य क्षेत्र की. ठगी और बेईमानी की कमाई से बिहारी समाज में ऐसे लोगों का मान बढ़ता है.
बिहार सरकार क्या ऐसे कर्मचारियों को सज़ा देगी जो महिलाओं को बिना बेहोश किए ऑपरेशन कर गए. अगर ऐसा नही हुआ तो नीतीश कुमार का इकबाल भी जाता रहेगा और बिहार बदनामी भी झेलता रहेगा.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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