Thursday, November 21, 2024
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आपसी दुश्मनी भुल एकजुट दिखे अरब देश, 12 साल बाद अरब लीग शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति बशर की शिरकत

मध्य-पूर्व की राजनीति में हाल के महीनों में ऐसे बदलाव हुए हैं जिसने पूरी दुनिया को न सिर्फ चौंकाया है, बल्कि मध्य पूर्व की राजनीति को ही नया रुख दे दिया है. दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र के इस्लामिक देश अपनी कट्टर दुश्मनी भुलाकर एक गए हैं, इसकी सबसे बड़ी मिसाल है कि एक दशक से अधिक समय से अरब लीग से बाहर रहे सीरिया का अरब लीग शिखर सम्मेलन में शामिल होना था.

दरअसल सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान मध्य-पूर्व की स्थिरता के लिए अरब देशों के बीच शांति के बड़े हामी रहे हैं. यही वजह है कि उन्होंने न सिर्फ अपने कट्टर विरोधी ईरान के साथ संबंधों को बहाल किया है बल्कि युद्ध ग्रस्त सीरिया से भी संबंधों को बहाल करने में जुटे हैं. इसके अलावा क्राउन प्रिंस ने युद्ध का दंश झेल रहे यमन में भी हुती विद्रोहियों से न सिर्फ संघर्ष विराम किया है, बल्कि युद्ध खत्म करने के भी संकेत दिए है.

शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने कहा कि ‘हम अपने पड़ोसी अरब देशों, पूर्व और पश्चिम के दोस्तों को ये यकीन दिलाते हैं कि हम शांति, भलाई, सहयोग और विकास की ओर आगे बढ़ रहे हैं’. उन्होंने कहा कि अरबों के पास मौजूद सभ्यता, सांस्कृति, प्राकृतिक और मानव संसाधन मौजूद है, वो हमारे देशों और लोगों को हर क्षेत्र में नए सिरे से और भी मजबूती से खड़े और हमें सक्षम बनाने के लिए काफी हैं’.

शिखर सम्मेलन के अंत में अरब लीग ने साझा बयान जारी किया. बयान के अनुसार अरब नेता ने साझा बुनियादों, मूल्यों, रुचियों और एक नियति के आधार पर साझा अरब एक्शन को बढ़ावा देने के महत्व पर ज़ोर दिया हैं. बयान में इजरायली कब्जे वाली सरकार के सदस्य और इजरायली सुरक्षा गार्ड के तहत कनेसेट के सदस्यों के जरिए माजिद अल-अक्सा मस्जिद पर हमले की कड़ी निंदा की गई.

अरब लीग का 32 वां शिखर सम्मेलन सऊदी अरब की मेजबानी में शुक्रवार को जेद्दा शहर में हुआ, जिसमें सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद भी शरीक थे. दरअसल बशर अल असद सीरिया में 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद पहली बार सऊदी अरब पहुंचे थे. इस सम्मेलन में यूक्रेनी राष्ट्रपति विलाडेमिर जेलेंस्की को भी विशेष न्योता मिला था, सऊदी अरब पहुंचे राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अरब लीग देशों से रूस के खिलाफ युक्रेनी जनता के हिमायत करने की अपील की. जबकि सऊदी अरब ने रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्ता जारी रखने की बात कही है.

बता दें कि 22 अरब देशों के इस लीग में सऊदी अरब, यूएई, इराक, जॉर्डन, मोरक्को, सुडान, कुवैत, कतर, बहरीन, ओमान समेत करीब 22 देश शामिल हैं और लगभग सभी देशों के राष्ट्र प्रमुख अरब लीग के इस 32 वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सऊदी अरब पहुंचे थे. हालांकि इस शिखर सम्मेलन में, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान हिस्सा नहीं ले सके, उनकी जगह उनके भाई और उपराष्ट्रपति शेख मंसूर बिन जायद सऊदी अरब पहुंचे.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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