अंज़रूल बारी
आज से तीन दिवसीय रायसीना डायलॉग की शुरुआत होने जा रही है. दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन पीएम मोदी कर रहे हैं. 25 अप्रैल से 27 अप्रैल तक नई दिल्ली में आोयजित हो रहे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन होंगी.
दरअसल इस रायसीना डायलॉग की शुरुआत 2016 में हुई थी. दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों का यह एक मंच है, जहां वैश्विक हालात और चुनौतियों पर एक सार्थक चर्चा के उद्देश्य से रायसीना डायलॉग की शुरुआत की गई. इसमें 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं. हर साल इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले देशों और लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है. भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत का यह प्रमुख सम्मेलन है. इसका आयोजन विदेश मंत्रालय की ओर से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से किया जाता है.
रायसीना डायलॉग 2022 की थीम ‘टेरा नोवा- इंपैसंड, इंपैसियस, इंपेरिल्ड’ है. इसमें 6 विषयों पर चर्चा होगी. जो विषय निर्धारित हैं उनमे प्रमुख हैं – लोकतंत्र पर पुनर्विचार: व्यापार, तकनीक और विचारधारा, बहुपक्षीयता का अंत: एक वैश्विक प्रसारतंत्र?, जल गुट: हिंद – प्रशांत में अशांत ज्वार, सामुदायिक निगमन: ग्रह, विकास और स्वास्थ्य के पहले प्रतिसाददाता, पर्यावरणीय बदलाव की प्राप्ति: सामान्य अनिवार्यताएं, अलग-अलग वास्तविकताएं और सैम्सन विरुद्ध गोलियथ: लगातार चल रही तकनीकी लड़ाइयां.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल कोरोना के कारण इसे वर्चुअल आयोजित किया गया था. उम्मीद की जा रही है कि रायसीना डायलॉग 2022 में 90 देशों के 210 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे. इसमें लगभग 100 सेशन होंगे. बर्लिन और वॉशिंगटन में साइड इवेंट आयोजित किए जाएंगे. इस मुख्य सम्मेलन के दौरान रायसीना के युवा साथियों का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि सम्मेलन में स्वीडन के पूर्व पीएम कार्ल बिल्ड, कनाडा के पूर्व PM स्टीफन हार्पर, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व PM एंथनी एबॉट के शामिल होने की संभावना है. इसके अलावा अर्जेंटीना, आर्मेनिया, गुयाना, नाइजीरिया, नॉर्वे, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मेडागास्कर, नीदरलैंड, फिलीपींस, पोलैंड, पुर्तगाल और स्लोवेनिया के विदेश मंत्री भी इस कार्यक्रम में भाग लेने के उद्देश्य से राजधानी दिल्ली में मौजूद हैं. वहीं, ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री भी इस सम्मेलन में शामिल हो सकते हैं. सम्मेलन से अलग कुछ देशों के नेताओं की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात होगी.