कॉलेजियम सिस्टम पर उठ रहे सवालों के बीच सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि लोकतंत्र में कोई भी संस्था परफेक्ट नहीं होती. हमें मौजूदा व्यवस्था के भीतर ही काम करना पड़ता है. न्यायाधीश वफादार सैनिक होते हैं जो संविधान लागू करते हैं. शुक्रवार को संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बाले रहे थे. खास बात ये है कि जस्टिस चंद्रचूड़ जब कॉलेजियम को लेकर अपनी बात रख रहे थे, तब कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी वहां मौजूद थे. बता दें कि कुछ दिन पहले ही रिजीजू ने मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाते हुए इसे अपारदर्शी बताया था.
सीजेआई ने कहा-केवल अच्छे लोगों को न्यायपालिका में लाना कॉलेजियम में सुधार का काम नहीं है. आप जजों को कितना भी अधिक भुगतान करें, यह एक दिन में एक सफल वकील की कमाई का एक अंश होगा. सीजेआई ने कहा कि लोग सार्वजनिक सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता की भावना के लिए जज बनते हैं. यह अंतरात्मा की पुकार होती है.
इस दौरान उन्होंने वकीलों के ड्रेस कोड पर भी अपनी राय रखी. सीजेआई ने कहा कि वकील अभी कॉलोनियल पीरियड की ड्रेस पहन रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारत में गर्मी ज्यादा पड़ती है, ऐसे में वकीलों के लिए एक ड्रेस कोड पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा- मैं ड्रेस को हमारे जीवन, मौसम और समय के अनुकूल बनाने पर विचार कर रहा हूं. ड्रेस पर सख्ती से महिला वकीलों की नैतिक पहरेदारी नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते से एक ऐसा सिस्टम लागू किया जाएगा, जहां हर एक बेंच 10 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अभी लगभग 3 हजार मामले पेंडिंग है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि अभी शीर्ष कोर्ट में 13 बेंच है. कोशिश है कि सर्दी की छुट्टी से पहले रोजाना 130 मामलों की सुनवाई की जाए. उन्होंने कहा कि कोर्ट ये निश्चित करना चाहता है कि जमानत के मामले सूचीबद्ध हों और जल्द से जल्द निपटाए जाएं.
कानून मंत्री ने कहा- हम न्यायपालिका को अधिक मजबूत बनाने के लिए सब कुछ करेंगे. कार्यपालिका और न्यायपालिका एक ही माता-पिता (संविधान) की संतान हैं. आपसी टकराव का कोई फायदा नहीं.