Sunday, December 22, 2024
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आखिर देश के सीजेआई ने सरकार को सबसे बड़ा वादी क्यों कहा ?

अखिलेश अखिल

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमाना ने सरकारों को ‘सबसे बड़ा वादी’ करार दिया और कहा कि 50 प्रतिशत लंबित मामलों के लिये वो जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका की विभिन्न शाखाओं के अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं करने के कारण लंबित मामलों का अंबार लगा हुआ है, और इसके लिए सरकारें जिम्मेदार हैं.
सीजेआई ने कार्यपालिका द्वारा न्यायिक आदेशों की अवहेलना से उत्पन्न अवमानना मामलों की बढ़ती संख्या का उल्लेख किया और कहा कि ‘न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है’. बता दें कि प्रधान न्यायाधीश मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में भारतीय न्यायपालिका के सामने प्रमुख समस्याओं जैसे लंबित मामले, रिक्तियां, घटते न्यायाधीश-जनसंख्या अनुपात और अदालतों में बुनियादी ढांचे की कमी को शनिवार को रेखांकितकर रहे थे.
प्रधान न्यायाधीश ने राज्य के तीन अंगों-कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका – को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय ‘लक्ष्मण रेखा’ के प्रति सचेत रहने की याद दिलाई. उन्होंने सरकारों को आश्वस्त किया कि अगर यह कानून के तहत चलता है तो ‘न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी.’ न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘हम लोगों के कल्याण के संबंध में आपकी चिंताओं को समझते हैं.’ उन्होंने कहा कि सभी संवैधानिक प्राधिकारी संवैधानिक आदेश का पालन करते हैं, क्योंकि संविधान तीनों अंगों के बीच शक्तियों के पृथक्करण, उनके कामकाज के क्षेत्र, उनकी शक्तियों और जिम्मेदारियों का स्पष्ट रूप से प्रावधान करता है.
सीजेआई ने कहा, ‘यह एक अच्छी तरह से स्वीकार किया गया तथ्य है कि सरकारें सबसे बड़ी वादी हैं, जो लगभग 50 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.’ उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे कार्यपालिका की विभिन्न शाखाओं की निष्क्रियता नागरिकों को अदालतों का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर करती है.
सीजेआई रमन्ना ने कहा, ‘इन उदाहरणों के आधार पर, कोई भी संक्षेप में कह सकता है कि, अक्सर, दो प्रमुख कारणों से मुकदमेबाजी शुरू होती है. एक, कार्यपालिका की विभिन्न शाखाओं का काम न करना. दूसरा, विधायिका का अपनी पूरी क्षमता को नहीं जानना.’
सीजेआई ने कहा कि अदालतों के फैसले सरकारों द्वारा वर्षों तक लागू नहीं किए जाते और इसका परिणाम यह है कि अवमानना याचिकाएं अदालतों पर बोझ की एक नयी श्रेणी बन गई हैं. उन्होंने कहा कि यह प्रत्यक्ष रूप से सरकारों द्वारा अवहेलना का परिणाम है.

अखिलेश अखिल
अखिलेश अखिल
पिछले 30 वर्षों से मिशनरी पत्रकारिता करने वाले अखिलेश अखिल की पहचान प्रिंट, टीवी और न्यू मीडिया में एक खास चेहरा के रूप में है। अखिल की पहचान देश के एक बेहतरीन रिपोर्टर के रूप में रही है। इनकी कई रपटों से देश की सियासत में हलचल हुई तो कई नेताओं के ये कोपभाजन भी बने। सामाजिक और आर्थिक, राजनीतिक खबरों पर इनकी बेबाक कलम हमेशा धर्मांध और ठग राजनीति को परेशान करती रही है। अखिल बासी खबरों में रुचि नहीं रखते और सेक्युलर राजनीति के साथ ही मिशनरी पत्रकारिता ही इनका शगल है। कंटेंट इज बॉस के अखिल हमेशा पैरोकार रहे है।
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