Sunday, December 22, 2024
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अज़रबैजान-आर्मेनिया के बीच फिर छिड़ा युद्ध, 49 आर्मेनियाई सैनिक ढेर

 

अज़रबैजान-आर्मेनिया के बीच एक बार फिर युद्ध छिड़ गया है. अज़रबैजान ने आर्मेनिया के खिलाफ जबरदस्त सैन्य कार्रवाई करते हुए 49 से अधिक आर्मेनियाई सैनिकों को ढेर कर दिया है. दरअसल अज़रबैजान ने आर्मेनिया पर उकसावे का आरोप लगाते हुए सैन्य ऑपरेशन का दावा किया है. बता दें कि ये आज़रबैजान-आर्मेनिया सीमा में 3 स्थानों पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़पें हुई हैं.

अज़रबैजान ने आर्मेनिया पर हमला करने और उसके क्षेत्रों में तोड़फोड़ का आरोप लगाया और दावा किया कि आर्मेनिया ने सीमा सैन्य चौकियों पर मोर्टार और गोलियां चलाईं, जिससे संघर्ष शुरू हो गया. खबरों के अनुसार अज़रबैजान के राष्ट्रपति इलहाम एलिये ने सैन्य प्रमुखों के साथ बैठक कर हालात की जानकारी ली है. याद रहे कि अज़रबैजान के राष्ट्रपति सेना के कमांडर इन चीफ भी हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आर्मेनिया अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आया और उकसावे की कार्रवाई को बंद न किया तो आर्मेनिया से और सख्ती से निपटा जाएगा.

इस बीच अर्मेनियाई रक्षा मंत्रालय ने यह भी दावा किया है कि सैन्य प्रतिष्ठानों और नागरिक आबादी को सोमवार रात अज़रबैजान द्वारा लक्षित किया गया था, जबकि अज़ेरी सेना द्वारा तोपखाने, मोर्टार और ड्रोन के हमलों में बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा था. खबर है कि अज़रबैजान के साथ संघर्ष में आर्मेनिया के कम से कम 49 सैनिक मारे गए हैं, जबकि अपुष्ट खबरों के मुताबिक हताहतों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.

अज़रबैजान के मीडिया हाउसेज़ ने आरोप लगाया कि आर्मेनिया ने संघर्ष विराम के कुछ मिनटों बाद ही एक बार फिर से संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है. तुर्की ने भी अर्मेनिया से उकसावे जैसी हरकतों को रोकने और अज़रबैजान के साथ शांति वार्ता और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने पर ज़ोर दिया है. अमेरिका ने भी अज़रबैजान-आर्मेनिया से आग्रह किया है कि दोनो देश संघर्ष खत्म कर शांति बहाल करें.

याद रहे कि 2020 में भी, अज़रबैजान-आर्मेनिया के बीच ‘नागोर्नो-कराबाख’ को लेकर जंग छिड़ गई थी. उस समय ये जंग करीब 6 सप्ताह चली थी. इस युद्ध में अज़रबैजान ने आर्मेनिया से अपने कई क्षेत्रों को छीन कर आज़ाद करा लिया था. नागोर्नो-कराबाख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अज़रबैजान के क्षेत्र के तौर पर मान्यता मिली हुई है, लेकिन सेना के सहारे अर्मेनियाई आदिवासी समूह द्वारा कब्जा कर लिया था. दोनों देशों के बीच यह संघर्ष 1988 से चल रहा है, जिस पर अब तक कई युद्ध लड़े जा चुके हैं और हजारों लोग मारे जा चुके हैं.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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