अखिलेश अखिल
देश को लूटने वाले अधिकतर कथित नेताओं को देश की चिंता कुछ ज्यादा ही सत्ता रही है. सांसद, विधायक बन जाने के बाद नेताओं को लगने लगता है कि उन्हें सब कुछ कहने – बोलने का अधिकार. ऐसे ही अधिकार की बात वो गेरुआ धारी भी करने लगे हैं जो दिन रात लोगों को ठगते हैं. और धर्म के नाम पर समाज को तोड़ते हैं. संत, महात्माओं का बाना डालकर धार्मिक उन्माद फैलाने से बाज नहीं आते. उन्हें हिन्दू राष्ट्र चाहिए. उनके लिए संविधान बौना है और सामाजिक समरसता बेकार की बातें. पिछले कुछ सालों से देश के भीतर धर्म के नाम पर जिस तरह से हिन्दू और मुसलमानो के बीच खाई बढ़ती जा रही है और जिस तरह हिंसक माहौल खड़ा किया जा रहा है, अगर देश की जनता खड़ी नहीं हुई तो भारत. भारत नहीं रहेगा. कह सकते हैं कि देश के भीतर नर्तन कर रहे पाखंडियों पर लगाम नहीं लगाया गया तो देश की हालत अफगानिस्तान से भी बदतर हो सकती है.
बीते रविवार को कई ऐसी घटनाएं दिल्ली और आसपास के इलाके में घटी जो इस बात के साबुत पेश करते हैं कि अगर वक्त रहते इस पर नकेल नहीं कसे गए तो देश जल उठेगा. लगता है आगामी चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए और कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से घबराई बीजेपी के लोग वह सबकुछ करने को तैयार है जिससे लोगों की भावना को भड़काया जा सके और इसका राजनीतिक लाभ लिया जा सके. ऐसे में अब जनता जनार्दन को ही कुछ करने की जरूरत है.
पहली घटना तो यह है कि दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. बीते दिनों उन्होंने एक कार्यक्रम में भाग लिया था. कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों के साथ उन्होंने हिंदू – देवताओं का बहिष्कार करने की शपथ ली थी. इस कार्यक्रम का वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू संगठनों व विपक्षी पार्टियों मसलन बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया था. बढ़ते विवाद को देखते हुए रविवार को राजेंद्र पाल गौतम ने दो पेज का खुला पत्र लिखते हुए इस्तीफा दे दिया.
अपने पत्र में उन्होंने कहा कि मनुवादी मानसिकता के लोग मुझे और मेरे परिवार को धमकी दे रहे हैं. मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं. मैं अपने समाज के हक की लड़ाई आगे भी लड़ता रहूंगा. मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से पार्टी पर कोई आंच आए. उक्त घटना के संबंध में उन्होंने कहा कि मैं 5 अक्टूबर को अंबेडकर भवन, रानी झांसी रोड पर मिशन जय भीम एवं बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा अशोक विजयदशमी के अवसर पर आयोजित बौद्ध धर्म दीक्षा समारोह में समाज का एक सदस्य होने के नाते व्यक्तिगत रूप से शामिल हुआ था. इसका आम आदमी पार्टी और मेरे मंत्रिपरिषद से कुछ लेना-देना नहीं था. बाबासाहेब के प्रपौत्र राजरत्न अंबेडकर द्वारा बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएँ दोहराई गई, जिसे 10 हजार से अधिक लोगों के साथ मैंने भी दोहराया. उसके बाद मैं देख रहा हूं कि बीजेपी हमारे नेता अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को निशाना बना रही है, यह मेरे लिए बहुत ही दुखदायी है.
बता दें कि हाल में वायरल हुए एक वीडियो में कोई बौद्ध संत सैकड़ों लोगों को हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म में प्रवेश दिला रहे थे. इनमें आम आदमी पार्टी के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम भी थे. वीडियो में सभी को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ”मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को नहीं मानूंगा. मैं राम – कृष्ण की पूजा नहीं करूंगा. मैं किसी हिंदू देवी-देवता को नहीं मानूंगा.” याद रहे आम आदमी पार्टी गुजरात में बीजेपी को भारी चुनौती देती नजर आ रही है और बीजेपी घबरा सी गई है. जानकार मान रहे हैं कि इसी घबराहट में बीजेपी मंत्री पर दबाब डाल रही थी ताकि गुजरात चुनाव में इसे भुनाया जा सके.
गौतम के इस्तीफे के बाद सबसे चौंकाने वाली कहानी तो बीजेपी के सांसद और विधायक ने तैयार की है. पश्चिम दिल्ली से बीजेपी लोकसभा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने एक ऐसा विवादित बयान दिया है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती. वर्मा ने हाल में ही दिल्ली में मनीष नाम के एक युवक की हत्या का जिक्र कर कहा कि उसको जिहादी तत्वों ने मार दिया. इसके साथ ही उन्होंने मुसलमानों के बहिष्कार की अपील करते हुए कहा कि अगर इनकी तबीयत ठीक करनी है तो उसका इलाज है, इनका पूरी तरह से बहिष्कार किया जाए. बीजेपी सांसद की बातें सुन रही जनता ने भी सहमति जताते हुए हाथ उठाया. इसके साथ उन्होंने जनता से अपील की कि वह मुसलमानों की दुकानों से कोई सामान ना खरीदें और इन को किसी भी प्रकार की मजदूरी ना दें.
अब सवाल उठता है कि क्या संघ प्रमुख भागवत जो पिछले कुछ दिनों से मुसलमानो के बीच बैठकर भाईचारे की बाते करते रहे हैं क्या वे कुछ प्रवेश वर्मा की कहानी पर कुछ कहेंगे ? क्या पीएम मोदी इस पर कोई कार्रवाई करेंगे. कुछ बयान देंगे ? क्या बीजेपी वाले शाह और नड्डा इस पर कुछ बोलने की हालत में हैं। और क्या बीजेपी के वे लोग जो दिल्ली सरकार के मंत्री पर दबाब डालकर इस्तीफा लेने में सफल दिखे क्या वो कुछ खाने की लायक है ?
कांग्रेस नेता शकील अहमद ने इस खेल पर कमेंट किया है. उन्होंने कहा है कि ‘लगता है लगभग 150-200 वर्षों के बाद हमारी मानसिकता कि कमज़ोर को ख़ूब सताओ और ताक़तवर के चरणों में बिछ जाओ, हम पर फिर हावी हो रही है. शायद इसी मानसिकता के कारण हम लगभग एक हज़ार सालों तक विदेशियों के ग़ुलाम रहे. भगवान भारत की रक्षा करें.
उधर, पीस पार्टी के प्रवक्ता शादाब चौहान ने इस वीडियो पर कमेंट किया कि पीएम नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह जी बताएं कि आप के सांसद द्वारा इस्तेमाल की गई जहरीली और देश विरोधी भाषा का समर्थन करते हैं या इसको पार्टी से निकालेंगे ? नोएडा में बैठे राष्ट्रभक्ति के योद्धा बनने वाले टीवी एंकर बोलेंगे ? मुसलमान बराबर का शहरी है गुलाम नहीं. जाफर नाम के ट्विटर यूजर द्वारा लिखा गया कि ये उस पार्टी का सांसद हैं. जिसका नारा है, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास. क्या बीजेपी और नरेंद्र मोदी अपने इस नफ़रती सांसद पर कोई कार्रवाई करेंगे ? क्या इस सांसद की सदस्यता रद्द होगी ओम बिरला जी?
यह भी चौंकाने वाला है कि विहिप ने बिना अनुमति के कार्यक्रम का आयोजन किया. दी हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि विहिप और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों ने इस महीने की शुरुआत में सुंदर नगरी इलाके में मनीष कुमार की हत्या के विरोध में दिल्ली के जीटीबी नगर में एक बैठक आयोजित की थी. हत्या का आरोप तीन लोगों पर लगा है. विहिप के वरिष्ठ पदाधिकारियों, बीजेपी नेताओं और अन्य लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंदुओं से “एकजुट” रहने और “मुसलमानों का बहिष्कार” करने का आह्वान किया. शाहदरा के पुलिस उपायुक्त आर सथिया सुंदरम ने कहा कि कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं ली गई थी.
प्रवेश वर्मा ने जो कहा वह तो कम था. दिल्ली से सटे गाजियाबाद के लोनी के बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने भी वीएचपी के एक कार्यक्रम में भाग लिया. विहिप के “हिंदुओं को एकजुट करने” के आह्वान पर उन्होंने भी सहमति व्यक्त की. यहां तक तो सब ठीक था लेकिन बाद में उन्होंने मुसलमानो से दो – दो हाथ करने की बात कही. पिछले साल दिल्ली में हुए दंगा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र की जनता ने उन्हें सबक सिखाया. हिन्दुओं के खिलाफ कुछ भी होगा तो वो अपने 50 हजार समर्थकों को कभी भी तैनात कर सकते हैं. इन्हे सबक सिखाने की जरूरत है. इस सभा में कई संतों ने भी जहर उगला और मुसलमानो के खिलाफ ऐसी बातें कही जिसकी कल्पना नहीं जा सकती.
ऐसे में अब देश की जनता को ही आगे आने की जरूरत है. बीजेपी जिस तरह से देश के भीतर साम्प्रदायिक तनाव बनाने को तैयार है. अगर इस पर रोक नहीं लगी तो हम आपस में ही लड़ते रहेंगे और भारत का चेहरा विकृत हो जाएगा.