कर्नाटक विधान सभा चुनाव की तारीखे जैसे – जैसे नजदीक आ रही है, सियासी तापमान बढ़ता जा रहा है. बीजेपी को फिर से सत्ता में लौटने की बेचैनी है तो कांग्रेस इस बार बीजेपी को भारी चुनौती देने की तैयारी में है. भारत जोड़ो यात्रा के जरिये कर्नाटक में कांग्रेस की हालत पहले से ज्यादा मजबूत हुई है. बीजेपी लगातरा अब दक्षिण के राज्यों में धर्म की राजनीति को आगे बढ़ा रही है ताकि उत्तर भारत की तरह ही दक्षिण भारत को साधा जा सके. उत्तर भारत को साधने धर्म और जाति समीकरण बीजेपी के लिए ज्यादा लाभकारी रहे हैं.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने हिंदुत्व को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मैं हिंदू हूं लेकिन हिंदुत्व का विरोधी हूं. सिद्धारमैया ने कहा कि राम मंदिर का विरोध उन्होंने नहीं किया. बल्कि उन्होंने कर्नाटक के कई गांवों में राम मंदिर का निर्माण करवाया है.“राम मंदिर का राजनीतिक लाभ लेने वालों का विरोधी हूं.’
सिद्धारमैया ने कहा कि मेरा विरोध हिंदुत्व को लेकर है. राम मंदिर को जरिया बनाकर जो इसका राजनीतिक फायदा लेते हैं, मैं उसके विरोध में हूं. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि क्या कभी हमने राममंदिर का विरोध किया. हमारा ऐतराज तो बस राम के नाम का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए करने पर है.
सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि बीजेपी राजनीतिक फायदे के लिए राम मंदिर का उपयोग कर रही है. बता दें कि कांग्रेस नेता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारतीय संविधान में सभी धर्म एक समान हैं. दरअसल सिद्धारमैया ने यह बयान भारतीय जनता पार्टी के उस आरोप पर दिया, जिसमें बीजेपी ने उन्हें हिंदू विरोधी कहा था.
दरअसल बीजेपी महासचिव सीटी रवि ने कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया को ‘सिद्धरमैया खान’ कहा था. वहीं सिद्धारमैया ने कहा है कि हमारे देश की अलग-अलग धार्मिक संस्कृति है. जहां हर व्यक्ति को साथ लिया जाना चाहिए उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को इंसान की तरह देखना चाहिए. सिद्धारमैया ने कहा कि संविधान सबको समान देखने की बात करता है, और हमें उसका पालन करना चाहिए. विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि हमारी पार्टी कांग्रेस हमेशा उन लोगों के खिलाफ रही है जो सांप्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं.
वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर पूछे एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा और आरएसएस में से किसी ने भी भारत की आजादी की लड़ाई में भाग नहीं लिया. सिद्धरमैया ने सवाल किया कि क्या उनमें से किसी ने या आरएसएस के पदाधिकारियों ने जब स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर था तो क्या उन्होंने उस संघर्ष में भाग लिया…नहीं लिया.