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हार्दिक का इस्तीफा ,कांग्रेस को लगा झटका

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हार्दिक का इस्तीफा ,कांग्रेस को लगा झटका

अंज़रुल बारी

गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने इस्तीफा दे दिया है. पटेल पिछले एक महीने से पार्टी हाईकमान से नाराज चल रहे थे. वहीं 21 अप्रैल को भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कांग्रेस छोड़ने के संकेत भी दिए थे. गुजरात में छह महीने के बाद चुनाव होने हैं ऐसे में हार्दिक के इस्तीफे को कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. हालांकि पार्टी को यह सब पहले से ही पता था. पार्टी जान रही थी कि हार्दिक पाला बदल सकते हैं लेकिन इतनी जल्द पाला बदलेंगे इसकी कल्पन पार्टी को नहीं थी. बीजेपी अब हार्दिक का कितना बड़ा स्वागत करती है इसे देखने की जरूरत है.
हार्दिक ने पहले मीडिया को कहा था कि जो हाल राजस्थान में सचिन पायलट का हुआ, कुछ वही स्क्रिप्ट गुजरात में भी दोहराने की कोशिश हो रही है. हार्दिक ने राम मंदिर और धारा 370 जैसे मुद्दों पर बीजेपी की तारीफ की थी.
हार्दिक पटेल ने इस्तीफा देने के साथ ही सोनिया गांधी को एक लेटर लिखा है. पटेल ने कहा है कि हाईकमान मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है, जब मैं गुजरात की समस्याओं को लेकर जाता था, तो टॉप लीडरशिप मोबाइल फोन में व्यस्त रहती थी.
हार्दिक पटेल की नाराजगी के बाद कांग्रेस हाईकमान सक्रिय हुआ था. राहुल गांधी ने हार्दिक से मैसेज कर नाराजगी की वजह भी जानी, लेकिन उसके बाद राहुल ने कोई रिप्लाई नहीं किया. हार्दिक ने उम्मीद जताई थी कि चिंतन शिविर के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा. हार्दिक ने पिछले दिनों ट्विटर, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर अपने बायो से कांग्रेस को हटा दिया था.
13-15 मई तक उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर के लिए हार्दिक को भी न्योता मिला था, लेकिन वो शामिल नहीं हुए थे. हार्दिक पटेल 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट से उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत भी मिली थी. पटेल पर पाटीदार आंदोलन के दौरान हिंसा फैलाने का आरोप लगा था.
हार्दिक पटेल जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक वे अगले महीने पार्टी का दामन थाम सकते हैं. गुजरात में 6 महीने बाद चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी को लग रहा है कि हार्दिक को साथ लेकर वो अब कांग्रेस को काफी कमजोर कर देगी. ऐसा संभव भी है और नहीं भी. क्योंकि कोई एक व्यक्ति पार्टी से ऊपर नहीं हो सकता. राजनीति सम्भावनाओ का खेल है. हार्दिक जायेंगे तो कोई दूसरा आएगा. राजनीति चलती रहेगी.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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