Home ताज़ातरीन सुशासन बाबू के राज में बीपीएससी पेपर आउट, सरकार के इकबाल पर उठे सवाल

सुशासन बाबू के राज में बीपीएससी पेपर आउट, सरकार के इकबाल पर उठे सवाल

0
सुशासन बाबू के राज में बीपीएससी पेपर आउट, सरकार के इकबाल पर उठे सवाल

अखिलेश अखिल

बिहार में सीएम नीतीश कुमार के बेहतर कानून व्यवस्था का दबदबा अब पहले जैसा नहीं रहा. अपनी सत्ता बचाने में माहिर माने जाने वाले नीतीश कुमार एक परीक्षा को कण्ट्रोल नहीं कर पाए. उनके सुशासन में शिक्षा माफियाओं ने सरकार को चुनौती दी और बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन की प्रारंभिक परीक्षा की ऐसी तैसी कर दी. पेपर आउट हुआ और लाखो छात्र बिना सरकार पर इल्जाम लगाते हुए भारी मन से अपने घर को वापस लौटे. रविवार को बिहार में जो हुआ, पहले कभी नहीं हुआ था. हालांकि बिहार लोक सेवा आयोग की 67वीं पीटी परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने के बाद इससे रद्द कर दिया गया. लेकिन सरकार विपक्ष के निशाने पर तो आयी ही जनता के निशाने पर भी आ गयी. बता दें कि सोशल मीडिया के अलग अलग ग्रुप पर प्रश्न पत्र परीक्षा से कुछ मिनट पहले ही वायरल होने लग गया था. परीक्षा खत्म होने के बाद वायरल प्रश्न पत्र से मूल प्रश्न पत्र का मिलान कराया गया तो दोनों में एक ही प्रश्न थे. विपक्ष ने सरकार को इस मसले पर घेरा है और नीतीश सरकार को बेकार बताया है.
बिहार लोक सेवा आयोग के संयुक्त सचिव और परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार ने बताया कि उन्हें पेपर लीक होने की जानकारी टीवी चैनलों द्वारा प्रशारित खबर से हुई. इस मामले में आयोग के अध्यक्ष आरके महाजन ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. इसके बाद जांच कमेटी ने कुछ घंटों के भीतर ही अपनी रिपोर्ट आयोग के अध्यक्ष को सौंप दी. जिसके बाद परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया.
बता दें कि आरा के वीर कुंवर सिंह कालेज परीक्षा केंद्र पर परीक्षार्थियों ने पेपर लीक के आरोप में हंगामा कर दिया. छात्रों ने आरोप लगाया कि परीक्षा केंद्र पर कुछ परीक्षार्थियों को मोबाइल के साथ परीक्षा केंद्र में घुसने की इजाजत दी गई थी. उन्हें समय से पहले ही प्रश्नपत्र लीक कर दिया गया था, तथा एक खास कमरे में अलग से बैठाकर परीक्षा ली गई. जबकि वहीं दूसरे परीक्षार्थियों को विलंब से प्रश्नपत्र दिया गया था.
परीक्षार्थियों का आरोप है की परीक्षा केंद्र कुछ छात्रों को समय से पहले ही प्रश्न-पत्र दे दिए गया था. उन लोगों को नीचे के दो अलग कमरों में बिठाया गया था. वहीं जब परीक्षा का समय शुरू हो गया और छात्रों को कुछ मिनट तक प्रश्न पत्र नहीं मिला तब परीक्षार्थियों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. जहां पहले से कुछ परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र दे दिया गया था और वो प्रश्न पत्र हल कर रहे थे इसके साथ ही उनके पास मोबाईल भी था. इसके बाद छात्रों ने परीक्षा केंद्र के गेट पर जमकर हंगामा किया.
घटना की सूचना पाकर भोजपुर के डीएम रोशन कुशवाहा ने परीक्षा केंद्र पर पहुँच कर सभी प्रश्न पत्रों को सील करवा दिया. डीएम ने कहा कि परीक्षार्थियों से लिखित शिकायत मांगी गई है. उन्‍होंने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर अंतिम फैसला बिहार लोक सेवा आयोग करेगा. इसके कुछ ही घंटों बाद जांच कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग ने परीक्षा रद्द कर दी. मामले में आगे की जांच के लिए साइबर सेल की मदद ली जाएगी.

Previous article गृह युद्ध की तरफ बढ़ा श्रीलंका, 12 मंत्रियों के घर फूंके गए
Next article वर्ल्ड बैंक का खुलासा : शिशु मृत्यु दर कम करने में भारत फिसड्डी, कई राज्यों की हालत ख़राब
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here