अंज़रुल बारी
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा झटका देते हुए कहा है कि इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना असंवैधानिक कदम करार दिया है. इसके साथ ही पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार यानी 9 अप्रैल को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने का आदेश दिया है. पाकिस्तान के SC ने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर की ओर से विवादित फैसले के तहत प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और राष्ट्रपति द्वारा संसद को भंग करने के अहम मामले पर बृहस्पतिवार को सुनवाई फिर से शुरू की. चीफ़ जस्टिस उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य लार्जर बेंच में जस्टिस एजाज़-उल अहसन, जस्टिस मज़हर आलम खान मियांखैल, जस्टिस मुनीब अख्तर और जस्टिस जमाल खान मंदोखाइल शामिल हैं.
समाचार एजेंसियों की खबर के मुताबिक, बंदियाल ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के वकील सीनेटर अली ज़फर से पूछा कि अगर सब कुछ संविधान के मुतााबिक चल रहा है तो मुल्क में संवैधानिक संकट कहां है? ज़फर की तरफ से अपनी दलीलें पूरी करने के दौरान बंदियाल के यह रिमार्क्स सामने आए. एक बार तो, बंदियाल ने वकील से पूछा कि वह यह क्यों नहीं बता रहे हैं कि देश में संवैधानिक संकट है या नहीं. चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अगर सब कुछ संविधान के मुताबिक हो रहा है तो संकट कहां है?’ सुनवाई के दौरान मियांखैल ने जफर से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री जन प्रतिनिधि हैं ? तो वकील ने हां में जवाब दिया. मियांखैल ने तब पूछा कि क्या संसद में संविधान का उल्लंघन होने पर प्रधानमंत्री को बचाया जाएगा? इस पर ज़फर ने जवाब दिया कि संविधान की रक्षा उसमें बताए गए नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा के लिए हर अनुच्छेद को ध्यान में रखना होगा. चीफ जस्टिस बंदियाल ने फिर पूछा कि तब क्या होगा जब सिर्फ एक सदस्य के साथ नहीं, बल्कि पूरी असेंबली के साथ अन्याय हो.
बता दें कि अदालत ने बुधवार को कथित ‘विदेशी साजिश’ के बारे में और जानकारी के लिये सरकार से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की बैठक का ब्यौरा मांगा था और इस बात पर अपना फैसला टाल दिया कि क्या इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के बजाए संसद को भंग करा कर संविधान का उल्लंघन किया है या नहीं. नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था. कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था और 90 दिनों के भीतर चुनाव कराने की बात कही थी.