Thursday, April 25, 2024
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सीपीएम और कांग्रेस के निशाने पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

 

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) और कांग्रेस पार्टी के निशाने पर आ गए हैं. राज्यपाल ने एक भाषण के दौरान राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. खबरों की मानें तो वित्त मंत्री केएन बालगोपाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को पर सीपीएम और कांग्रेस ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को ही आड़े हाथ ले लिया. हालांकि, यह बात दिगर है कि कांग्रेस ने आशंका जाहिर करते हुए कहा है कि राज्यपाल और सरकार के बीच की ये खींचतान कहीं फर्जी तो नहीं है.

केरल में सत्ताधारी दल सीपीएम का आरोप है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे’ को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उनसे संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों के तहत कार्य करने की अपील की. वहीं, कांग्रेस ने कहा कि मंत्री को हटाने की उनकी मांग को ‘अवमानना मानकर’ खारिज कर दिया जाना चाहिए. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को लिखे पत्र में ‘राष्ट्रीय एकता’ को कमतर करने के बयान पर वित्त मंत्री केएन बालगोपाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिसे मुख्यमंत्री ने अस्वीकार कर दिया.

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को लिखे पत्र में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आरोप लगाया कि 18 अक्टूबर को विश्वविद्यालय परिसर में वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने भाषण दिया, जिसमें उन्होंने ली गई शपथ और भारत की अखंडता को कमतर किया. राज्यपाल ने कहा कि उनके पास यह बताने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है कि वित्त मंत्री के पद पर बने रहने से वह खुश नहीं हैं.

तिरुवनंतपुरम में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए सीपीएम के प्रांत सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राज्यपाल का विश्वास व्यक्तिगत नहीं हो सकता है और निजी पसंद से उसे बदला नहीं जा सकता. उन्होंने वित्तमंत्री का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा कि केएन बालगोपाल के भाषण में किसी व्यक्ति को अपमानित करने वाली टिप्पणी नहीं की गई, जैसा कि राज्यपाल ने आरोप लगाया है.

एमवी गोविंदन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही जवाब दे दिया है कि राज्यपाल की निजी प्रसन्नता की जरूरत मंत्री को मंत्रिमंडल में कायम रखने के लिए जरूरी नहीं होती. मुख्यमंत्री का फैसला अधिक अहम है. सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर प्रसन्नता के मायने को परिभाषित किया है. वाम नेता ने हाल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के नाम पर राज्य के प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का इस्तीफा मांगने के राज्यपाल के कदम की भी कड़ी आलोचना की.

उधर, केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक वीडी सतीशन ने कहा कि नई दिल्ली में आरिफ मोहम्मद खान के कार्यों से राज्य में प्रशासनिक संकट उत्पन्न नहीं होगा और निश्चित तौर पर विपक्ष राज्यपाल द्वारा ऐसे अधिकारों का इस्तेमाल करने पर सवाल उठाएगा, जो उनमें निहित नहीं है. उन्होंने हमले को तीखा करते हुए कहा कि राज्यपाल भगवान नहीं हैं, जिनपर सवाल नहीं उठाए जा सकते और यह विपक्ष है, जिसने मंत्रियों से पहले उनकी आलोचना की. उन्होंने कहा कि क्या भारत के इतिहास में किसी राज्यपाल ने मंत्री को हटाने की मांग की है ? वह विश्वविद्यालयों के सीनेट सदस्य को जरूरत पड़ने पर हटाने की मांग कर सकते हैं.

कांग्रेस ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ ही राज्य की वाम सरकार को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला दोनों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रेखांकित किया है कि राज्यपाल और सरकार द्वारा संयुक्त रूप से सभी कुलपतियों की नियुक्ति यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के नियमों का उल्लंघन कर की गई और अवैध है. इसलिए फैसलों को लेकर जनता को धोखा देने के लिए राज्यपाल और सरकार में झूठी लड़ाई चल रही है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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