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सिविल सर्विसेज़ की तैयारी करना और हुआ आसान, अब शाहीन बाग़ में खुला NEOM IAS एकेडमी

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सिविल सर्विसेज़ की तैयारी करना और हुआ आसान, अब शाहीन बाग़ में खुला NEOM IAS एकेडमी

 

नई दिल्ली : NEOM IAS एकेडमी का उद्घाटन एच. अजीज विश्वविद्यालय मणिपुर के कुलपति डॉ. अफरोज-उल हक के द्वारा शाहीन बाग़ में संपन्न हुआ.

इस अवसर पर समारोह में उपस्थित लोगों को संबंधित करते हुए डॉ. अफरोज-उल हक ने कहा कि शिक्षा हमारी पीढ़ी के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है. क्योंकि शिक्षा सफलता की ओर पहला कदम है. उन्होंने कहा कि मुझे बताते हुए अच्छा लग रहा है कि हायर एजुकेशन के लिए ये कदम बहुत ज़रूरी है. हमने पुरी दुनिया में काम करके अपना और अपने देश का नाम रोशन किया है जो हर कोई कर सकता है. उच्च शिक्षा के लिए मैं इस एकेडमी को बधाई देता हूं.

इस मौके पर डॉ. ताजुद्दीन अंसारी ने कहा कि शिक्षा सभी के लिए जरूरी है. अपनी बात रखते हुए डॉक. अंसारी ने शिक्षा से महरूम छात्रों को अपनी ओर से भरपूर सहयोग देने का भी भरोसा दिया. उन्होंने एकेडमी के अधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए बताया कि “मैंने कई स्कूल बनाए हैं, और लोग ये बात अच्छी तरह से जानते हैं.” मैं बहुत खुशी हो रही है कि हायर एजुकेशन के लिए आप इस अहम काम को अंजाम देने में लगे हैं. हम आप की पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई पेश करते हैं. उन्होंने कहा कि इल्म का रास्ता मुश्किल जरूर है, लेकिन बहुत मजेदार है.

समारोह में शरीक जामिया छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष बदरुद्दीन कुरैशी ने कहा कि नफरत के दौर में देश के प्रतिष्ठित और सबसे बड़े कॉम्पटिशन को जामिया की एक छात्रा टॉप करती है लेकिन दुख होता है कि कुछ गोदी मीडिया के चैनलों को हमारे बच्चों की तरक्की रास नहीं आती है. उन्होंने बताया कि पिछले साल जामिया के 42 बच्चों आईएएस के लिए सिलेक्ट हुए. जिसमें हिन्दू मुस्लिम सब थे, खुशी का मुकाम था लेकिन गोदी मीडिया से जुड़े एक नफरती चैनल ने इसको हिंदू मुस्लिम रुख दे कर पेश किया. उन्होंने कहा कि हमारी परेशनिया किसी और की वजह से नही हैं, हम खुद उसके ज़िम्मेदार हैं. बदरुद्दीन कुरैशी ने अकैडमी की ज़िम्मेदार हज़रात से अनुरोध करते हुए कहा कि जिस तरह से हम आईएएस कोचिंग,डिग्री कॉलेज, यूनिवर्सिटी खोल रहे हैं, उसी तरह से इस प्रतिष्ठित कार्य के लिए छोटे कारोबारियों को भी जोड़ें, उनके लिए वर्कशॉप आयोजित करें, ताकि गरीब बच्चे भी इससे फायदा हासिल कर पाएं.

 

आईएएस कासिम हफीज ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज लोगों में इंफॉर्मेशन तो बहुत है लेकिन ये इनफॉर्मेशन मिसगाइडेड है, इसलिए सही दिशा होनी जरूरी है. उन्होंने कहा कि यू – ट्यूब और गूगल ही सब कुछ नहीं है. दो-तीन महीने में आईएएस-आईपीएस नहीं बना जा सकता. इसके लिए साल 2 साल की मेहनत की जरूरत होती है, उन्होंने कहा कि यूपीएससी का कोई शॉर्टकट नहीं है. दिमाग़ में नेगेटिव चीजें नहीं आनी चाहियें. बात उन्हीं की होती है जिनमें कोई बात होती है. उन्होंने कहा कि आज के बच्चों में पोटेंशियल बहुत है, इनको डायरेक्शन की जरूरत है. टीचर गूगल मैप की तरह होता है आपको मंजिल तक पहुंचा देता है. गाइडेंस तो आपको लेना ही होगा.

प्रोफेसर डॉक्टर अब्दुल कय्यूम अंसारी ने बधाई देते हुए कहा कि मेरी दुआऐं आपके साथ हैं, और मेरी सेवाऐं हमेशा इस एकेडमी के साथ रहेंगी. अपना लंबा तजुर्बा शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि आईएएस, बहुत टॉप क्लास के स्टूडेंट नहीं बनते, बहुत अमीर घरानों की बच्चे भी आईएएस नहीं बनते. न वो टॉपर होते हैं, ना वो अच्छे ईदारों से पढ़े हुए होते हैं. यह मैं अपने लंबे तजुर्बे के के बाद बता रहा हूं. यह मुमकिन नहीं है कि हम शाम को टेलीविजन के सामने बैठे रहें और बच्चों से कहें पढ़ाई करो. इसलिए बच्चों के साथ बैठना पड़ेगा. उन्होंने आईएएस बुशरा बानो का जिक्र करते हुए कहा कि हालात कभी रुकावट नहीं बन सकते, क्योंकि यह उन्होंने करके दिखाया है. वह दो बच्चों की मां होते हुए आईएएस बनी है.

डॉ. शकील-उल-ज़मा अंसारी ने मुबारकबाद देते हुए कहा कि ताजुद्दीन साहब का गरीब बच्चों की मदद के लिए बहुत शुक्रिया अदा किया। उन्होंने आगे कहा कि हमें इल्म को अपना मकसद बनाना पड़ेगा, तब ही हम सरवाइव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज 95% मुस्लिम लोग नमाज अदा नहीं करते हैं। कार्यक्रम पहले जो रखते थे बाद नमाज मगरिब, बाद नमाज जोहर, बाद नमाज असर, इस तरह से रखते थे लेकिन आजकल इसका ख्याल नहीं रखा जाता। यह हमें सबसे पहले अपने खालिक को राजी करने वाला काम करना है। जब तक हम सही अमल नहीं करेंगे तब तक हम सही इंसान नहीं हो सकते हैं।

समारोह में शामिल एस एम आसिफ, डॉ. वसीम राशिद साहिबा, जमीअतुल उलेमा ए हिंद के नेता मुफ्ती अब्दुल राजिक, और एकेडमी के डायरेक्टर आफताब हुसैन और को डायरेक्टर एहतेशान खान ने भी लोगों को संबोधित करते एकेडमी के मिशन और विज़न को लोगों के सामने पेश किया.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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