Home देश सामान नागरिक संहिता पर जदयू और बीजेपी में रार की सम्भावना बढ़ी

सामान नागरिक संहिता पर जदयू और बीजेपी में रार की सम्भावना बढ़ी

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सामान नागरिक संहिता पर जदयू और बीजेपी में रार की सम्भावना बढ़ी

अंज़रूल बारी

बीजेपी अपनी स्थापना के समय से ही तीन मुद्दों पर चुनाव में उतरती रही और चुनाव जीतती भी रही. बीजेपी के तीन मुद्दे थे राम जन्मभूमि, धारा 370 और सामान नागरिक संहिता. इन तीन मुद्दों में से दो मुद्दे राम जन्मभूमि और धारा 370 का काम पूरा हो चुका है और बीजेपी अपने तीसरे मुद्दे सामान नागरिक संहिता को जल्द लागू करने की तैयारी में है. इस बाबत गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल में घोषणा भी कर दी है. शाह के घोषणा के बाद उत्तराखंड और यूपी में इसकी तैयारी भी की जा रही है, लेकिन बिहार में सरकार में शामिल जदयू को सामान नागरिक संहिता पर परहेज है. बिहार जदयू केंद्र सरकार के मसौदे का इन्तजार कर रही है लेकिन जदयू नेताओं के जो बोल सामने आये हैं उससे साफ़ हो गया है कि बिहार में सामान नागरिक संहिता की कोई जरूरत नहीं है.
नीतीश के बेहद करीबी कहे जाने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने इस बहस को आगे बढ़ा दिया है. कॉमन सिविल कोड को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भोपाल में दिये गए बयान पर विजय चौधरी ने कहा कि जदयू इस मुद्दे पर नजर बनाये हुए. सरकार को कानून का मसौदा सामने लाने दीजिए, बिल देखने के बाद जदयू इसपर स्टेंड लेगा. बता दें कि इस मसले को लेकर पार्टी के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पहले ही बयान दे दिया है कि बिहार में कॉमन सिविल कोड की आवश्यकता नहीं होगी. उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार के रहते यह संभव नहीं है.
गौरतलब है कि अमित शाह ने भोपाल में कहा था कि देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने की जरूरत है. कहा जा रहा है कि संसद के मानसून सत्र में सरकार इससे जुड़ा कानून पेश कर सकती है. ऐसे में जदयू की ओर से प्रतिक्रिया स्वभाविक है, क्योंकि रामजन्म भूमि, धारा 370 और कॉमन सिविल कोड यही तीन ऐसे मुद्दे रहे हैं, जिसे किनारा कर के एनडीए का गठन हुआ था. जदयू आज एनडीए का सबसे पुराना साथी है. इन तीन में से दो पर बीजेपी ने काम पूरा कर लिया है. तीसरे मुद्दे पर अब बीजेपी निर्णायक स्थिति में आ चुकी है.
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सीबीएससी की तरफ से पाठ्यक्रम में किये गये बदलाव पर आपत्ति जतायी है. उन्होंने कहा है कि देश के इतिहास को पाठ्यक्रम से बदला जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. शिक्षा मंत्री ने कहा है कि हम इससे इत्तेफाक नहीं रखते. मैंने अपनी बात सीबीएससी तक पहुंचा दी है. सीबीएससी की तरफ से पाठ्यक्रम में मुगलकालीन इतिहास को हटाए जाने की खबर सामने आयी थी जिस पर बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सख्त ऐतराज जताया था.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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