Sunday, September 8, 2024
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शिक्षा का भगवाकरण: NCERT ने मौलाना आज़ाद को भी नहीं बख्शा, 11 वीं क्लास की बुक से चैप्टर हटाया

मशहूर शिक्षाविद और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का जिक्र राजनीति विज्ञान की किताब से हटा दिया गया है.

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मशहूर शिक्षाविद्, स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का उल्लेख राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की किताब से हटा दिया गया है. इसे युक्तिसंगत बनाने के लिए एनसीईआरटी ने अप्रासंगिकता के आधार पर किताबों से गुजरात दंगों, मुगल इतिहास, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सल आंदोलन आदि के कुछ चैप्टर्स को हटा दिया. इस बदलाव का उल्लेख नहीं किया गया था. हालांकि, (NCERT) एनसीईआरटी ने दावा किया है कि इस साल सिलेबस में कोई कमी नहीं की गई है और इसे पिछले साल जून में तैयार किया गया था.

एनसीईआरटी के प्रमुख दिनेश शुक्लानी ने बुधवार को कहा कि यह अनजाने में हुई गलती हो सकती है कि पिछले साल पाठ्यपुस्तक के युक्तिकरण अभ्यास के तहत कुछ हिस्सों को हटाने की घोषणा नहीं की गई थी.

संशोधित लाइनें अब इस तरह से है, ‘जवाहिरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल या बीआर अंबेडकर आमतौर पर इन समितियों की अध्यक्षता करते थे.’ इस पुस्तक में यह अनुच्छेद भी हटा दिया गया था, “जम्मू और कश्मीर का भारतीय संघ में विलय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत आत्मनिर्णय के निर्धारण पर आधारित था.”

गौरतलब है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा पिछले साल मौलाना आजाद फैलोशिप को भी बंद कर दिया गया था. नए शैक्षणिक सत्र के लिए एनसीईआरटी कक्षा 12 राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘देश की सांप्रदायिक स्थिति पर महात्मा गांधी की मृत्यु’ प्रभावी रूप से गांधी की अवधारणा हिंदू-मुस्लिम एकता ने हिंदू कट्टरपंथियों को उकसाया’ और आरएसएस जैसे संगठनों पर एक समय के लिए प्रतिबंध लगाने सहित कई विषयों का उल्लेख नहीं है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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