Thursday, December 26, 2024
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शाही इमाम जामा मस्जिद अहमद बुखारी ने पीएम और गृह मंत्री से मांगा मिलने का समय

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार देश में हाल ही में हुई सांप्रदायिक घटनाओं पर दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने अपनी चुप्पी तोड़ ही दी. उन्होंने कहा कि मैं इन सभी घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को कल पत्र लिखूंगा और उनसे मुलाकात का वक्त मागूंगा. उन्होंने आगे कहा, प्रधानमंत्री पूरे देश का होता है, किसी विशेष धर्म के नहीं होता, मैं पीएम मोदी से पूछना चाहता हूं कि अगर सांप्रदायिक मतभेद और नफरत बढ़ती रही तो क्या यह देश के हक़ में बेहतर है? इस देश में हिंदू और मुस्लिम दोनों ने बलिदान दिया है. उन्होंने कहा कि हम पीएम मोदी से मुलाकात का समय ले रहे हैं, हमें उम्मीद है कि वो हमें मुलाकात का समय ज़रूर देंगे.

दरअसल शुक्रवार को रमजान के आखिरी जुमे यानि अलविदा की नमाज के दौरान उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ बढ़ रही नफरत और हमले को लेकर कहा कि, “मुल्क अजीब माहौल से गुजर रहा है, हर तबके के लोग एक अजीब उलझन में हैं ऐसा महसूस हो रहा है कि कुछ होने वाला है, लेकिन नहीं पता क्या होने वाला है. हम इस देश को सांप्रदायिक नफरत की आग में जलने के लिए नहीं छोड़ सकते हैं.” उन्होंने कहा, “मुल्क के सामने आज कई सवाल खड़े हैं. हिंदुस्तान को एक बड़ा खतरा मजहबी उन्माद से हैं. अगर यह सब यहीं नहीं रुका तो नहीं पता मामला कहां जाकर रुकेगा, हिन्दू हो या मुसलमान सबको मिलकर नफरत को खत्म करना है.”

शाही इमाम ने जहांगीरपुरी हिंसा का ज़िक्र करते हुए कहा कि, “धार्मिक स्थलों के बाहर से जुलूस निकाले जा रहे हैं. इस दौरान नफ़रत और उकसावे वाली नारेबाजी की जा रही है और लोग धार्मिक स्थलों के सामने से तमंचे और तलवारें लेकर निकल रहे हैं. कोई नहीं चाहता हिंसा हो लेकिन कुछ चंद लोग महौल बिगाड़ना चाहते हैं. हालांकि मामले की जांच होने पर दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या यह सब सही है.” उन्होंने आगे कहा कि, बुलडोजर चलने से मुसलमानों को ही नहीं, बल्कि हिंदुओ को भी नुकसान हो रहा है. 1977 के दुकान के दस्तवाजे होने के बावजूद उनकी दुकानों पर बुल्डोजर चला, 70 साल तक हम बेबस रहे.

सियासी दलों को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि, पहले ही कोरोना की चपेट में आने से नुकसान हुआ अब जिंदगी जब पटरी पर धीरे-धीरे वापस लौट रहें है तो हिंसा और नफरत को बढ़ावा देकर नुकसान पहुँचाया जा रहा है. शाही इमाम ने समाजवादी पार्टी का ज़िक्र कर कहा कि, यूपी में मुसलमानों ने सपा को वोट दिया लेकिन सपा ने एक बार भी मुसलमानों का नाम नहीं लिया. 96 फीसदी मुसलमानों ने सपा को वोट दिया, लेकिन उनके साथ कोई टोपी दाढ़ी वाला स्टेज पर नहीं था.

बता दें कि पिछले कुछ महीने से देश में मुसलमानों के खिलाफ उन्माद और हिंसा का माहौल बना है, जगह जगह धर्म संसद के नाम पर मुसलमानों के नरसंहार की आवाज उठ रही थी, सियासी दलों और मुस्लिम धर्म गुरुओं और संगठनों की खामोशी ने समुदाय को बेचैन कर दिया था, ऐसे में जामा मस्जिद से किसी आवाज का न उठना कई सवाल खड़े कर रहा था, जिसका जवाब शुक्रवार को शाही इमाम जामा मस्जिद अहमद बुखारी ने ये कहते हुए दिया है कि वो जल्द ही पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर इस मसले को उठाएंगे, ताकि देश जिस ओर चल पड़ा है, उसे उस तरफ जाने से रोका जा सके. ये संदेश दे कर शाही इमाम ने मुस्लिम समाज में एक उम्मीद जगाने की कोशिश की है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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