Home ताज़ातरीन वीर सावरकर पर छिड़ी जंग, राहुल के साथ खड़े हुए तुषार गांधी तो उद्धव के साथ फडणवीस 

वीर सावरकर पर छिड़ी जंग, राहुल के साथ खड़े हुए तुषार गांधी तो उद्धव के साथ फडणवीस 

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वीर सावरकर पर छिड़ी जंग, राहुल के साथ खड़े हुए तुषार गांधी तो उद्धव के साथ फडणवीस 

अखिलेश अखिल

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जिस शिवसेना ने यात्रा में शामिल होकर महाराष्ट्र की राजनीति में एमवीए की एकता का संदेश दिया तो वही उसी शिवसेना ने अब सावरकर के खिलाफ राहुल गांधी के बयान से नाराज़ हो गई है. उद्धव ठाकरे राहुल गांधी के बयान से नाखुश है और राहुल के बयान का समर्थन नहीं करने की बात कह रहे है. उधर महाराष्ट्र के भीतर राहुल गांधी के खिलाफ थाने में शिकायत भी दर्ज हुई है. अब इस मामले में बीजेपी भी कूद गई है, और कांग्रेस पर हमलावर है. पिछले दो दिनों से चल रही इस राजनीति के बीच शुक्रवार को महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी अचानक भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए और राहुल की इस यात्रा को क्रांतिकारी बताया. लेकिन जैसे ही मीडिया के सामने तुषार गांधी ने सावरकर के बारे में वही सब कुछ कहा जो राहुल गांधी का गए थे, देश की राजनीति में भूचाल आ गया.

गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा,”यह सच है कि वीर सावरकर अंग्रेजों के दोस्त थे, उन्होंने खुद को जेल से बाहर निकालने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी थी. ऐसा नहीं है कि हमने इसे व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से लिया है, इतिहास में इस बात के सबूत हैं.”

याद रहे बीजेपी और शिवसेना वीर सावरकर को एक महान क्रांतिकारी के तौर पर पेश करते रहे है. इस बीच तुषार गांधी के बयान ने सावरकर के मुद्दे को एक बार फिर से हवा दे दी है.

तुषार गांधी ने कहा कि भारतीय इतिहास में यात्राएं देश का पारंपरिक हिस्सा रही हैं. इन यात्राओं ने कई महत्वपूर्ण क्रांतियों को जन्म दिया है. आज जब देश में हमारे पूर्वजों के स्थापित किए गए ढांचे बदले जा रहे हैं, तब ऐसे में ये समझना ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि अभी हमने हार नहीं मानी है.

दरअसल उद्धव ठाकरे की असहमति के पीछे उनकी पार्टी की विचारधारा भी वजह मानी जा रही है. उद्धव ठाकरे के दादा और शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के पिता प्रबोधंकर ठाकरे के विनायक दामोदर सावरकर के संग रिश्ते भी अहम वजह हैं. दरअसल 1921 में अंडमान जेल से रिहा होने के बाद जब विनायक दामोदर सावरकर को रत्नागिरी में बंद कर दिया गया था, तो उनसे मिलने वाले बहुत से लोग शामिल थे. इसमें प्रबोधंकर ठाकरे भी थे. प्रबोधनकर ठाकरे प्रसिद्ध समाज सुधारक के तौर पर जाने जाते थे, वो कई मौकों पर सावरकर के साथ अलग-अलग राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करते थे. वहीं लगभग चार दशक बाद बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया और सावरकर की विचारधारा को शिवसेना का आधार बनाकर उसी राह चलते रहे.

अब राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि राहुल गांधी जिस तरह से बीजेपी और सावरकर को लेकर बोल रहे हैं उससे महाअघाड़ी एकता में दरार आ सकती है. माना जा रहा है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अब शायद ही महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ मिलकर काम करे. साफ शब्दों में कह सकते हैं कि शिवसेना सावरकर के मसले पर कांग्रेस से काफी नाराज हो गई है. राहुल गांधी के हाल के बयान पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के प्रति हमारे मन में अपार श्रद्धा और आस्था है और इसे मिटाया नहीं जा सकता.

महाराष्ट्र में भारत जोड़ो यात्रा निकालते हुए राहुल गांधी ने सावरकर को अंग्रेजों का मददगार बताया था. राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि सावरकर ने अंग्रेजों को लिखे गए एक पत्र में कहा था, ‘सर मैं आपका आज्ञाकारी सेवक बने रहने की याचना करता हूं.’ इतना ही नहीं सावरकर ने इस पत्र पर अपने हस्ताक्षर भी किए थे. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने इस दौरान सावरकर को अंग्रेजों की मदद करने वाला भी कहा था. राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें डर था क्योंकि उन्होंने सरदार पटेल और महात्मा गांधी जैसे बड़े नेताओं को धोखा दिया था.

22 तारीख को राहुल गांधी गुजरात जा रहे हैं. संभव है गुजरात में भी राहुल सावरकर की कहानी को दोहरा सकते हैं. बीजेपी अबतक सावरकर को महान नेता कहती रही है. ऐसे में राहुल का हमला गुजराती समाज कितना पचा पाती है इसे देखना होगा.

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