Sunday, October 6, 2024
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विवादित बुक सैटेनिक वर्सेस के लेखक सलमान रुश्दी पर न्यूयार्क में जानलेवा हमला, हालात गंभीर

अमेरिकी शहर न्यूयार्क में एक प्रोग्राम के दौरान मंच पर सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला हुआ है. उनके गले और पेट पर चाकुओं से ताबड़ तोड़ कई वार किये गए हैं. उनकी हालत क्रिटिकल बतायी जा रही है. न्यूयॉर्क पुलिस ने हमलावर की पहचान 24 वर्षीय हादी मतर के तौर पर की है. क़ानूनी एजेंसियां मतर की राष्ट्रीयता और उनके आपराधिक रिकॉर्ड की जांच कर रही हैं. मंच पर जाते समय रुश्दी पर हादी मतर ने एक के बाद एक कई वार किए. इसकी वजह से वहाँ साक्षात्कार ले रहे हेनरी रीज़ के सिर में भी चोट आई है.
करीब 34 साल पहले 1988 में सलमान रुश्दी ने सैटेनिक वर्सेस नाम से एक विवादित किताब लिखी थी. इस किताब में सलमान रुश्दी ने पैगम्बर मुहम्मद साहब की बेअदबी की थी. साल भर बाद ईरान में इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी के खिलाफ मौत का फतवा जारी किया था. सलमान रुश्दी पर हुए हमले को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है. रुश्दी के पेट, गर्दन और कंधे पर चाकू से करीब 15 वार किये गए हैं, साथ ही चेहरे पर मुक्कों से भी मारा गया है.
‘सैटेनिक वर्सेज’ उपन्यास का हिंदी में अर्थ ‘शैतानी आयतें’ हैं. किताब के नाम पर ही दुनिया भर के मुसलमानों ने कड़ा ऐतराज़ जताया था. रुश्दी पर इल्ज़ाम है कि उसने अपनी किताब में एक काल्पनिक किस्सा लिख कर पैगंबर मुहम्मद साहब और इस्लाम धर्म को अपमानित किया है.
भारत पहला देश था जिसने इस उपन्यास को बैन किया। उस वक्त देश में राजीव गांधी की सरकार थी। इसके बाद पाकिस्तान और कई अन्य इस्लामी देशों ने इसे प्रतिबंधित कर दिया। फरवरी 1989 में रुश्दी के खिलाफ मुंबई में मुसलमानों ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन पर पुलिस की गोलीबारी में 12 लोग मारे गए और 40 से अधिक घायल हो गए थे।
हालांकि रुश्दी पर इस से पहले भी कई बार हमले हुए हैं, लेकिन हर बार वो बचते चले गए थे. हमले के बाद से सलमान रुश्दी छिपकर और सख्त पुलिस प्रोटेक्शन में जिंदगी जी रहे थे. ईरानी सरकार ने सार्वजनिक तौर पर 10 साल बाद यानी 1998 में कहा कि अब वो सलमान की मौत का समर्थन नहीं करते. हालांकि, फतवा अपनी जगह पर कायम रहा.
2006 में हिजबुल्ला संगठन के प्रमुख ने कहा था कि सलमान रुश्दी ने जो ईशनिंदा की है. उसका बदला लेने के लिए करोड़ों मुस्लिम तैयार हैं. पैगंबर के अनादर का बदला लेने के लिए कुछ भी करने को हम तैयार हैं. 2010 में आतंकी संगठन अलकायदा ने एक हिट लिस्ट जारी की था. इसमें इस्लाम धर्म के अपमान करने के आरोप में सलमान रुश्दी को भी जाने से मारने की बात कही गई थी.
सलमान रुश्दी 2012 में जयपुर में होने वाले लिटरेचर फेस्टिवल में आने वाले थे, लेकिन बाद में धमकियों और विवादों की वजह से उन्होंने भारत नहीं आने का फैसला किया था. इन दिनों रुश्दी न्यूयॉर्क सिटी में ज्यादा आराम वाली और आजाद जिंदगी जी रहे थे. 2019 में वो अपने एक नॉवेल को प्रमोट करने के लिए मैनहटन के एक प्राइवेट क्लब में दिखे थे. जहां वो मेहमानों से खुलकर बात कर रहे थे और क्लब के मेंबर्स के साथ डिनर भी किया था. ऐसे ही 12 अगस्त 2022 को एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे, जहां उन पर चाकू से हमला हुआ.
सलमान रुश्दी की किताब ‘सैटेनिक वर्सेज’ को लेकर दुनिया भर के कई देशों में हो रहे हिंसक विरोध में 59 लोगों मारे जा चुके हैं. इन मृतकों की संख्या में इस किताब के प्रकाशक और दूसरे भाषा में अनुवाद करने वाले लोग भी शामिल हैं. जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी ने रुश्दी की किताब ‘सैटेनिक वर्सेज’ की अपने भाषा में अनुवाद किया था. इसके कुछ दिनों बाद ही उनकी हत्या कर दी गई थी. इसी तरह ‘सैटेनिक वर्सेज’ के इटैलियन अनुवादक और नॉर्वे के प्रकाशक पर भी जानलेवा हमले किए जा चुके हैं.
बता दें कि 19 जून 1947 को मुंबई में पैदा होने वाले सलमान रुश्दी एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार से हैं. जन्म के कुछ सालों बाद ही रुश्दी का परिवार ब्रिटेन में रहने लगा. ऐसे में स्कूली पढ़ाई इंग्लैंड के फेमस रग्बी स्कूल से करने के बाद रुश्दी ने आगे की शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से की. फिर 1968 में इतिहास में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद 1970 में उन्होंने लंदन में एक एडवरटाइजमेंट राइटर के तौर पर नौकरी शुरू कर दी. इसके बाद 1975 में रुश्दी ने ग्राइमस नाम से पहली किताब पब्लिश की.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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