Thursday, March 28, 2024
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लश्करे तैयबा के के प्रतिनिधि टीआरएफ पर लगा प्रतिबन्ध

भारत सरकार ने गुरूवार को पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा के प्रतिनिधि द रेजिस्टेंस फ्रंट को प्रतिबंधित संगठन होने की घोषित कर दिया. केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ़) आतंकवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने, आतंकवादियों की भर्ती, आतंकवादियों की घुसपैठ और पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ऑनलाइन माध्यम से युवाओं की भर्ती कर रहा है.

यह समूह 2019 में प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी के रूप में अस्तित्व में आया, जो 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों सहित कई आतंकी गतिविधियों में शामिल था.

भारत सरकार के खिलाफ आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए जम्मू और कश्मीर के लोगों को उकसाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर संगठन मनोवैज्ञानिक संचालन में शामिल है.

गृह मंत्रालय ने कहा कि शेख सज्जाद गुल द रेजिस्टेंस फ्रंट का एक कमांडर है. और उसे गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 के तहत आतंकवादी के रूप में नामित किया गया है. समूह की गतिविधियां भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं. द रेजिस्टेंस फ्रंट के सदस्यों और सहयोगियों के खिलाफ भी बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं. इसकी सभी विध्वंसक गतिविधियों को देखते हुए गृह मंत्रालय ने समूह को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया.

सरकार ने मोहम्मद अमीन उर्फ अबू खुबैब को भी नामित किया, जो जम्मू-कश्मीर से संबंधित है, लेकिन वर्तमान में पाकिस्तान में एक व्यक्तिगत आतंकवादी के रूप में रहता है. वह लश्कर-ए-तैयबा के लॉन्चिंग कमांडर के रूप में कार्य कर रहा है, और उसने सीमा पार एजेंसियों के साथ गहरा संबंध विकसित किया है. और जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में लश्कर की आतंकवादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. खुबैब सीमा पार से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों, हथियारों या हथियारों और विस्फोटकों की आपूर्ति और आतंक के वित्तपोषण में शामिल रहा है.

एक अन्य अधिसूचना में कहा गया है कि उसकी सभी आतंकी गतिविधियों के लिए सरकार ने यूएपीए के तहत खुबैब को एक व्यक्तिगत आतंकवादी के रूप में नामित किया है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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