Home ताज़ातरीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मोदी सरकार पर किया एक और खुलासा

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मोदी सरकार पर किया एक और खुलासा

0
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मोदी सरकार पर किया एक और खुलासा

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों के मुद्दे पर एक बार फिर मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि उनसे इस विषय पर चुप रहने की ताकीद कर कहा गया था कि चुप रहने पर उन्हें राष्ट्रपति बना दिया जायेगा. बागपत के घिटोरा गाँव में मलिक किसानो को शनिवार को सम्बोधित कर रहे थे. मलिक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर किसानों के प्रति संवेदनशील नहीं होने तक का आरोप लगा दिया. उन्होंने कहा, “मुझे भी चुप रहने को कहा गया था कि चुप रहोगे तो राष्ट्रपति हो जाओगे.” मलिक ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बने कानून को लेकर केन्द्र सरकार पर ईमानदारी नहीं दिखाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री में किसानों के प्रति कोई संवेदना नहीं है.
उन्होंने सरकार से सवालिया लहजे में कहा, “प्रधानमंत्री में किसानों के प्रति कोई संवेदना नहीं है. किसान जो पैदा करता है, उसका दाम घटा रहे है और जो खरीदता है, उसका दाम बढ़ा रहे हैं. ऐसे में किसान की आमदनी दोगुनी कहां से करेगी सरकार? केन्द्र सरकार को देश के किसानों पर कोई रहम नहीं है. मुझे कोई कुत्ते ने नहीं काटा, जो गर्वनर रहते हुए सरकार से पंगा लूं.”
मलिक ने कहा कि सरकार ने एमएसपी पर बने कानून को लेकर ईमानदारी नहीं दिखाई है. किसानों का एमएसपी कानून वापस होने तक गुजारा नहींं है, इसलिए सरकार एमएसपी को लेकर अपनी नीयत साफ करे. सरकार ने एमएसपी पर बने कानून को लेकर ईमानदारी नहीं दिखाई है. एमएसपी की गारंटी मिले बिना किसानों का गुजारा नहीं हो सकता है. उन्होंने सरकार को आगाह भी किया कि, “किसानों को कोई बेचारा न समझे. यह वही किसान हैं, जिन्होंने देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई थी.”
उन्होंने कहा, “एमएसपी पर सरकार की नीयत साफ नहींं है. सरकार में मैं भी हूं, लेकिन किसानों के हित की आवाज मैं हमेशा उठाता रहूंगा.” मलिक ने कहा कि जब किसान 13 महीने तक दिल्ली में आन्दोलन कर रहे थे, तो 700 किसानों की जान गयी, इससे उन्हें बहुत दुःख पहुंचा. देश के उच्च पदों पर बैठे लोग किसी जानवर के मरने पर संवदेना जताते हैं, लेकिन किसानों के मरने पर संवेदना के दो शब्द भी किसी के मुंह से नहीं निकलते हैं.
मलिक ने कहा, “चौधरी चरण सिंह कहा करते थे कि अगर किसान कौम एक हो गई तो दिल्ली पर राज किसान का ही रहेगा. किसान मिलकर लड़ाई लड़े, देश पर राज किसानों का ही होगा. किसानों के पास खेती, जमीन और आर्मी की भर्ती ही तो थी, अब ये भी हाथ से चली गई.”

Previous article सात चुनावी राज्यों में बीजेपी का दलितों पर फोकस, करोड़ों के फंड आवंटित किए
Next article 2024 का लोकसभा चुनाव मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बनाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here