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राजा महमूदाबाद का लंबी बीमारी के बाद निधन, लखनऊ में ली अंतिम सांस

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राजा महमूदाबाद का लंबी बीमारी के बाद निधन, लखनऊ में ली अंतिम सांस

आजादी से पहले जन्मे राजा महमूदाबाद मोहम्मद के नाम से मशहूर अमीर मोहम्मद खान का 80 साल की उम्र मे इलाज के दौरान निधन हो गया. वो पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे. उनके बेटे सपा नेता प्रोफेसर अली खान ने उनके निधन की पुष्टि अपने फेसबुक पेज के जरिए दी. गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में राजा महमूदाबाद का इलाज चल रहा था. अली खान ने बताया कि उनके पिता राजा महमूदाबाद ने लखनऊ के कैसरबाग स्थित अपनी कोठी महमूदाबाद हाउस में बुधवार की सुबह करीब तीन बजे अंतिम सांस ली.

उधर राजा महमूदाबाद के निधन की खबर फैलते ही हर जगह शोक और हम की लहर दौड़ गई. अंतिम दर्शन के लिए राजा महमूदाबाद का शव कोठी महमूदाबाद हाउस में रखा गया और बुधवार शाम को कर्बला में अंतिम संस्कार हुआ. वहीं, जिले के स्कूलों में दो मिनट का मौन रखा और व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखी.

राजा महमूदाबाद अमीर मोहम्मद खान की सीतापुर और लखनऊ समेत आसपास के कई जिलों तक रियासत रह चुकी है. मगर उनके पूर्वजों के पाकिस्तान में बस जाने के बाद सरकार ने उनकी जायदाद को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित करते हुए अपने संरक्षण में ले लिया था.

शत्रु संपत्ति विवादों के चलते राजा महमूदाबाद लगातार सुर्खियों में बने रहते थे. करीब 50 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को लेकर वह लगातार सरकार से मुकदमा लड़ते रहे. 1985 और 1989 तक, मोहम्मद अमीर खान महमूदाबाद विधानसभा से कांग्रेस के विधायक रहे हैं. राजा महमूदाबाद हमेशा अपने सामाजिक कार्यों और प्रॉपर्टी विवाद को लेकर चर्चा में रहे हैं. लखनऊ और प्रदेश भर में बहुत सी चर्चित इमारतों के वह मालिक रहे हैं.

राजा महमूदाबाद ने अपने पीछे पत्नी रानी विजया खान के साथ दो बेटे प्रोफेसर अली खान और राजकुमार अमीर हसन खान को छोड़ा है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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