Monday, December 9, 2024
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राजस्थान के दंगा प्रभावित करौली क्षेत्र का मुसलमानों के प्रतिनिधिमंडल ने दौरा कर पीड़ितों का हाल जाना, प्रशासन से भी की मुलाकात

अंज़रूल बारी

राजस्थान के करौली में पिछले दिनों हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद गुरुवार को राष्ट्रीय मुस्लिम संगठनों के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावित इलाक़ों का दौरा किया.

राजस्थान के करौली के दंगा प्रभावित इलाकों में प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात की और लोगों के हालात को जाना. इस प्रतिनिधिमंडल में जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी, जमियत-ए-अहले हदीस के अध्यक्ष मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलफी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय सचिव मुहम्मद अहमद, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. कासिम रसूल इलियास, आल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरत के अध्यक्ष नावेद हामिद, इंडिया अगेंस्ट हेट के संयोजक वासिक नदीम खान शामिल थे.

बता दें कि करौली में डीजे बजाने और एक विषेश समुदाय के खिलाफ अपमानजनक नारे लगाने के बाद दंगे भड़क गए थे. दरअसल 2 अप्रैल की शाम 4 बजे कलेक्ट्रेट सर्किल से रैली में शामिल करीब 400 बाइक सवारों ने रैली निकाली थी. हालांकि स्थानीय प्रशासन ने डीजे बजाने पर रोक लगाते हुए सशर्त रैली निकालने की इजाजत दी थी. लेकिन प्रशासन की हिदायत को अनदेखा करते हुए डीजे और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया गया, इस दौरान एक विशेष समुदाए के खिलाफ आपत्तिजनक नारों का भी प्रयोग किया गया था.

रैली जब अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र से गुजर रही थी तब रैली में शामिल लोगों ने आपत्तिजनक नारेबाजी शुरू कर दी. इसी के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया और आपस में जमक पत्थरबाजी और आगज़ानी शुरू हो गई. इस दौरान आगजनी और तोड़फोड़ से दोनों पक्षों के 80 से अधिक सम्पत्ति को नुकसान हुआ. जिसके बाद राजस्थान के कई शहरों में धारा 144 लगा दी गई थी.
समाचार एजेंसियों के मुताबिक इस हिंसा में 80 दुकानें जलीं, जिसमें से 73 दुकानें अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की थीं, जबकि 7 दुकानें बहुसंख्यक समाज के लोगों की हैं. दंगे भड़काने के आरोप में 27 मामले दर्ज कर 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है, जिनमें अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग है. पुलिस ने स्थानीय निर्दलीय निगम पार्षद मतलूब अहदम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसकी तलाश तेज कर दी है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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