![राजनीतिक प्रयोगशाला बना गोवा राजनीतिक प्रयोगशाला बना गोवा](https://freejournalmedia.in/wp-content/uploads/2022/01/goa_bjp-768x432.webp)
चुनावी राज्य गोवा में हड़कंप है। 14 लाख की आबादी वाले इस छोटे से प्रदेश की 40 विधानसभा सीटों पर कोई आधा दर्जन पार्टियां हरहोड़ मचाये हुए है। सुन्दर ,साफ़ यह राज्य पार्टियों के दलदल में इस दफा किसके हवाले राज्य की बागडोर सौपेगा यह भला किसे पता। राज्य में बेरोजगारी चरम पर है और कोरोना की वजह से पर्यटन उद्योग लगभग ठप। गोवा के युवा अपनी बेवसी के लिए राजनीति को दोषी मानते हैं लेकिन खेल देखिये चुनावी राजनीति के इस तमाशा में वही युवा विभिन्न दलों प्रचारक भी बने हुए हैं। जानकारी मिलती है कि युवाओं को पहले राजनीतिक प्रचार से घृणा थी ,आज पैसे के लिए वह जायज लग रहा है। गोवा में जिस तरह से आधा दर्जन पार्टियां 40 सीटों के लिए मारा मारी कर रही है उससे गोवा का भला तो कुछ नहीं होगा लेकिन खिचड़ी जनदेश की सम्भावना बढ़ गई है। खेल वही है। न खाएंगे न खाने देंगे। इस खेल में अहम् भूमिका निभा रही है टीएमसी और आप पार्टी।
याद रहे गोवा में विधान सभा की 40 सीटें हैं। पहले दो राष्ट्रीय और तीन क्षेत्रीय दलों के बीच यहाँ चुनावी लड़ाई होती थी और पार्टी मिलकर सरकार बना लेती थी। लेकिन इस बार तो अलग ही खेल है। आप पार्टी भी यहाँ जमीन तलाश रही है और ममता की टीएमसी भी। इसके अलावे पवार की पार्टी एनसीपी भी है और शिवसेना भी। निर्दलीय भी यहां खूब लड़ते हैं और जीतते भी हैं और बाद में मलाई खूब खाते हैं।
राउत ने कहा कि गोवा में कांग्रेस के पास मजबूत नेतृत्व नहीं है लेकिन उन्होंने दावा किया कि गोवा का चुनाव जीतना भाजपा के लिए भी आसान नहीं है। सच यही है कि आप और टीएमसी जैसे दल भाजपा की मदद करने के लिए कांग्रेस की राह में रोड़े अटका रहे हैं।
राउत एक नेता के साथ ही एक पत्रकार भी है और देश की हालत को जान भी रहे हैं। ऐसी हालत में एक बात साफ़ है कि बीजेपी से लड़ने की बातें तो कई पार्टियां कर रही है लेकिन सच यही है कि बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस के खिलाफ टीएमसी और आप पार्टी एक्टिव है। जिस तरह से 40 सीटों पर मारा मारी है उससे यही कि वहाँ किसी के पक्ष में परिणाम नहीं होंगे। खिचड़ी जनादेश होगा और फिर मिलजुल कर गोवा की लूट की जाएगी। जाहिर है आने वाले समय में इस खेल का लोकसभा चुनाव पर असर पडेगा और बीजेपी की राह आसान हो जाएगी।