Sunday, October 6, 2024
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यूपी चुनाव पर बीजेपी प्रदेश इकाई की रिपोर्ट से पार्टी में खलबली

अखिलेश अखिल

यूपी विधान सभा चुनाव में भले ही बीजेपी की जीत हुई और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बन गई है लेकिन प्रदेश इकाई द्वारा चुनाव के बारे में जो रिपोर्ट पार्टी है कमान को सौंपी गई उससे बीजेपी की नींद उड़ गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी के साथ जुडी कई जातियों के लोगों ने इस चुनाव में बीजेपी को वोट नहीं दिया और केशव मौर्य की हार के लिए कई जातियों का बीजेपी से मोहभंग होना बताया गया है. बता दें कि भाजपा ने 273 सीटें जीतने में सफलता हासिल की थी. 2017 के चुनाव में बीजेपी को भारी जीत हाशिल हुई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 80 पन्नों की रिपोर्ट में ‘बहुजन समाज पार्टी के वोट शिफ्ट होना’ और ‘फ्लोटिंग वोट’ को पार्टी की जीत का बड़ा कारण माना गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि ओबीसी वोट का कटना और सहयोगियों के वोट भाजपा को नहीं मिलने के चलते राज्य में भाजपा की सीटों का आंकड़ा कम हुआ. साल 2017 के मुकाबले 2022 में यूपी में भाजपा की सीटों में बड़ी गिरावट हुई है.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से उठे सवाल के बाद यह रिपोर्ट सौंपी गई है। सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट के अनुसार, सहयोगी दलों निषाद और अपना दल के जाति आधार यानि कुर्मियों और निषाद ने भाजपा का समर्थन नहीं किया. जबकि, भाजपा का वोट बैंक इन पार्टियों को पहुंचा. सूत्रों ने बताया कि इन जातियों से कम समर्थन को ही उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की हार का बड़ा कारण माना गया है.
अखबार के मुताबिक, कुशवाह, मौर्य, सैनी, कुर्मी, निषाद, पाल, शाक्य, राजभर ने बड़े स्तर पर भाजपा को वोट नहीं किया और सपा का समर्थन किया. जबकि, साल 2017 में इन जातियों ने भाजपा की मदद की थी. इसके अलावा सपा में मुस्लिम समुदाय के ‘ध्रुवीकरण’ को भी कुछ सीटों पर हार का कारण माना जा रहा है.
अखबार के अनुसार, भाजपा ने सरकार की अलग-अलग योजनाओं पर भी अनुमानित 9 करोड़ लाभार्थियों की वोटिंग का आकलन किया. पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘यह पता चला है कि अधिकांश ने राजनीतिक रूप से भाजपा का समर्थन नहीं किया, लेकिन उन्होंने एनडीए की कल्याणकारी योजनाओं की तारीफ की है.’
अखबार के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेतृत्व 2017 की तुलना में सीटों की कमी होने को लेकर चिंतित है. पार्टी ने 2022 चुनाव से पहले राज्य में सदस्यता अभियान चलाया था. यहां विशेष अभियान में भाजपा ने 80 लाख नए सदस्य शामिल करने का दावा किया था, जिसके चलते पार्टी के सदस्यों की संख्या 2.9 करोड़ पर पहुंच गई थी. वहीं, 2019 में पार्टी ने 30 लाख नए सदस्य जोड़े थे.
अखबार के मुताबिक, भाजपा ने गाजीपुर, आंबेडकर नगर और आजमगढ़ जिले में खराब प्रदर्शन किया है. इन तीन जिलों में भाजपा को 22 में से एक भी सीट नहीं मिली. जबकि, सपा ने आजमगढ़ और आंबेडकर नगर में क्लीन स्वीप किया और गाजीपुर में 7 सीटें जीती. सपा सहयोगी सुहैलदेव भारतीय समाज पार्टी ने शेष दो सीटों पर कब्जा किया. साल 2017 में भाजपा ने यहां 8 सीटें जीती थी. सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने इस सपा गठबंधन के ज्यादा पोस्टल वोट हासिल करने का भी बारीकी से आकलन किया है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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