यूनिसेफ ने कहा है कि यमन में वर्ष 2015 में युद्ध भड़कने के बाद से, 11 हज़ार से ज़्यादा लड़के व लड़कियाँ हताहत हुए हैं, और ये संख्या हर दिन औसतन चार के बराबर है, और इससे कहीं अधिक होने की सम्भावना है. यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल ने हाल ही में यमन का दौरा किया है, जिसके बाद उन्होंने देश की सरकार और हूथी विद्रोहियों के दरम्यान युद्ध विराम समझौते को, फिर से लागू किये जाने का आहवान किया है. ये ऐतिहासिक युद्ध विराम समझौता शुरू में अप्रैल 2022 में लागू हुआ था, जिसके बाद संघर्ष की सघनता में ख़ासी कमी देखी गई है. यूनीसेफ़ ने कहा है कि अलबत्ता, ये युद्ध विराम समझौता, अक्टूबर के अन्त में ख़त्म हो गया था और तब से लेकर 30 नवम्बर तक की अवधि में 62 अतिरिक्त बच्चे हताहत हुए हैं.
कैथरीन ने कहा, “हज़ारों बच्चों की ज़िन्दगियाँ ख़त्म हो गई हैं, लाखों अन्य बच्चे ऐसी बीमारियों व भुखमरी से मौत होने के जोखिम का सामना कर रहे हैं जिनकी रोकथाम सम्भव है.” कैथरीन रसैल ने इस यात्रा के दौरान बच्चों के लिये यूनीसेफ़ की 10.3 अरब डॉलर की मानवीय कार्रवाई अपील जारी की है, जिसके माध्यम से दुनिया भर में संघर्षों व आपदाओं से प्रभावित बच्चों को पानी, पोषण, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा सेवाएँ मुहैया कराई जाएंगी.
यमन अब भी ऐसा देश बना हुआ है जहाँ दुनिया भर में सबसे ज़्यादा तात्कालिक मानवीय सहायता परिस्थितियाँ मौजूद हैं. देश की लगभग तीन चौथाई आबादी, यानि लगभग दो करोड़ 34 लाख लोगों को, सहायता व सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता है. इनमें आधी संख्या बच्चों की है. यूनीसेफ़ का अनुमान है कि लगभग 22 लाख बच्चे गम्भीर रूप से कुपोषित हैं, जिनमें पाँच वर्ष से कम आयु के क़रीब पाँच लाख, 40 हज़ार बच्चे भी हैं, जो अत्यन्त गम्भीर कुपोषण से जूझ रहे हैं. यमन के एक करोड़ 78 लाख से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित पानी, स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं, जबकि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था वर्षों के दौरान बहुत ही कमज़ोर हो चुकी है.
युद्ध के कारण, टीकाकरण कवरेज की गति ठप हो गई है, और एक वर्ष से कम आयु के लगभग 28 प्रतिशत बच्चों का नियमित टीकाकरण नहीं हो पा रहा है. इस स्थिति और स्वच्छ पानी की उपलब्धता के अभाव का मतलब है कि बच्चों को हैज़ा, खसरा और डिप्थीरिया जैसी बीमारियों का बहुत ज़्यादा जोखिम है. यूनीसेफ़ ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि यमन में एक गम्भीर शिक्षा संकट भी उत्पन्न हो गया है, बच्चों पर जिसके दीर्घकालीन और व्यापक परिणाम होंगे.
इस समय लगभग 20 लाख लड़के व लड़कियाँ, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं, और ये संख्या बढ़कर 60 लाख तक पहुँच सकती है, क्योंकि हर चार में से एक स्कूल, यानि लगभग 25 प्रतिशत स्कूल, या तो पूर्ण या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं.
कैथरीन रसैल ने ज़ोर देकर कहा कि यमन के बच्चों को एक समृद्ध भविष्य का मौक़ा मिलना चाहिये, युद्धरत पक्षों और अन्तरराष्ट्रीय समुदायों, व किसी भी तरह का प्रभाव रखने वालों को, ये सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे संरक्षित व समर्थित रहें. उन्होंने कहा कि युद्ध विराम समझौते को तत्काल बहाल करना, एक ऐसा सकारात्मक पहला क़दम होगा, जिससे अति महत्वपूर्ण मानवीय सहायता पहुँच सम्भव हो सकेगी.