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मौलाना महमूद मदनी बोले- भारत जितना मोदी का है उतना महमूद का भी

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मौलाना महमूद मदनी बोले- भारत जितना मोदी का है उतना महमूद का भी

दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत- उलेमा- ए हिंद के 34 वें वार्षिक अधिवेशन को संबोधित करते हुए जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने इस्लामोफोबिया में कथित वृद्धि पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने वालों को विशेष रूप से दंडित करने के लिए एक अलग कानून बनाने की मांग की है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कहा कि ये वतन जितना नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत का है, उतना ही ये वतन महमूद का भी है.

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि हिंदू और मुसलमान बराबर हैं. महमूद मदनी ने कहा है कि मुल्क में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए है. हमें बीजेपी और आरएसएस से कोई तकलीफ नहीं है. हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं है.

देश के कई राज्यों से अधिवेशन में पहुंचे जमीयत के हजारों डेलिगेट्स को संबोधित करते हुए मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि किसी एक धर्म की किताब को दूसरे धर्म पर नहीं थोपा जाना चाहिए. ये हमारे लिए अस्वीकार्य है. उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस और बीजेपी से हमारी कोई मजहबी लड़ाई नहीं है. हमारी नज़र में हिंदू और मुसलमान बराबर हैं, हम इंसान के दरमियान कोई फर्क नहीं करते हैं. मौलाना महमूद मदनी ने दावा किया कि जमियत ए उलेमा की पॉलिसी रही है कि भारत के तमाम शहरी बराबर हैं, इनके बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए.

मौलाना महमूद मदनी का कहना है कि मुल्क में बसने वाले एक तबके से भले ही हम अलग जरूर हैं, लेकिन हम उनके खिलाफ नहीं हैं. अलग होना चीजों को खूबसूरत बनाता है, लेकिन खिलाफ होना चीजों को मुश्किल बनाता है. उन्होंने कहा कि हमारा मुल्क है, जो अलग-अलग होने के बावजूद जुड़ा हुआ है. इसमें मुसलमानों का बड़ा किरदार है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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