Tuesday, November 12, 2024
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मोरबी: पुल टूटने के बाद मच्छू नदी में तलाशी अभियान जारी, मरने वालों की संख्या 150 के पार पहुंची

गुजरात के मोरबी शहर में मच्छू नदी पर एक झूला पुल टूट कर गिरने के बाद सोमवार सुबह तक 141 शव बरामद किए गए, 180 लोगों को बचाया गया और अभी भी कई लोगों के लापता होने की आशंका है. पुलिस ने कहा कि तलाशी अभियान अगले 24 घंटे तक जारी रहने की संभावना है.

खबर के मुताबिक एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, नौसेना, स्थानीय दमकल टीमों, स्थानीय गोताखोरों और तैराकों के करीब 200 जवान तलाशी अभियान में लगे हुए हैं. राजकोट कलेक्टर अरुण महेश बाबू भी मोरबी में डेरा डाले हुए हैं और स्थानीय अधिकारियों के साथ खोज और बचाव कार्यों में मदद कर रहे हैं.


बता दें कि रिनोवेशन के बाद भी इतना बड़ा हादसा होने पर अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. पिछले 7 महीने से इस पुल की मरम्मत चल रही थी. रिनोवेशन का काम एक ट्रस्ट ने किया था. काम पूरा होने के बाद 4 दिन पहले ही पुल खुला था. खबरों की मानें तो पुल की मरम्मत के काम में आठ करोड़ रुपये खर्च हुए. हादसे के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.


सवाल है कि पुल की क्षमता करीब 100 लोगों की थी तो कैसे 250 से ज्यादा लोग पहुंच गए ? सवाल ये भी है कि पुल पर पहुंचे लोगों को रोका क्यों नहीं गया ? नगर पालिका से फिटनेस प्रमाणपत्र मिले बिना ही हादसे से चार दिन पहले फिर से इस पुल को क्यों खोला गया ? चश्मदीदों के मुताबिक, पुल खोले जाने पर कर्मचारियों का ध्यान भीड़ पर नहीं था, वो ज्यादा से ज्यादा टिकट बेचने में लगे थे. क्या सिर्फ मुनाफे के लिए कंपनी ने क्षमता से ज्यादा टिकट बेचे ? सवाल ये भी है कि कंपनी को दोबारा पुल खोलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला था. इसके बाद भी पुल खोलने का जोखिम क्यों लिया गया?

गुजरात सरकार ने मोरबी शहर में पुल गिरने की घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. नगर पालिका आयुक्त राजकुमार बेनीवाल जांच पैनल का नेतृत्व करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि टीम का पहला काम निलंबन पुल के ढहने के कारण का पता लगाना और निष्कर्षो के आधार पर पता लगाना है. भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एसआईटी सुझाव भी देगी.
बता दें कि मोरबी में मच्छू नदी पर बने इस हैंगिंग ब्रिज (केबल पुल) का निर्माण ब्रिटिश काल में मोरबी राजवंश के शासन सर वाघाजी ठाकोर ने लगभग 150 साल पहले करवाया था, जिसकी लंबाई 233 मीटर थी और यह 4.6 फीट चौड़ी थी.


इस बीच बीजेपी की पुल गिरने पर सियासत नहीं करने की अपील पर लोग ट्वीटर पर बंगाल चुनाव से ठीक पहले कोलकाता में निर्माणधीन पुल गिरने पर पीएम मोदी के उस भाषण को याद दिला रहे हैं जिसमें पीएम मोदी ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था, कि “ये एक्ट ऑफ़ गॉड नहीं, एक्ट ऑफ़ फ्रॉड है, ये एक्ट ऑफ़ गॉड उस हिसाब से तो ठीक है, क्योंकि चुनाव के समय में पुल गिरा ताकि पता चले कि आपने कैसी सरकार चलाई है, इसलिए भगवान ने लोगों को संदेश दिया है कि आज ये पुल टूटा है, और कल ये पूरा बंगाल खत्म कर देगी इसको बचाव, ये बागवान ने संदेश भेजा है.”

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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