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मोदी सरकार के आठ बरस, क्या खोया – क्या पाया !

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मोदी सरकार के आठ बरस, क्या खोया – क्या पाया !

 

अखिलेश अखिल

आज 26 मई को मोदी सरकार के आठ बरस पूरे हो गए. इन आठ वर्षों में देश में कई बदलाव हुए तो कई तरह के सामाजिक, आर्थिक तनाव भी देखने को मिले. देश के भीतर कई तरह के राजनीतिक परिवर्तन भी सामने दिखे लेकिन सबसे बड़ी बात ये रही कि समाज के भीतर कई तरह के तनाव उत्पन्न हुए हैं. मोदी सरकार कहती है कि इन आठ सालों में देश ने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में कई आयाम तय किये हैं, देश उपलब्धियों से भरा रहा है. संभव है ऐसा हुआ हो लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन आठ सालों में जिस तरह से धर्म और जाति के नाम पर खेल खेला गया, ऐसा अब तक देखा नहीं गया था. मोदी सरकार इसे अमृतकाल मानती है लेकिन क्या देश के लोग भी ऐसा मानते हैं ? क्या देश वाकई अमृतकाल में जी रहा है ? इसका उत्तर भला कौन देगा ? मौजूदा समय में देश के भीतर जिन मुद्दों को लेकर तनाव है उसे भला कौन बताएगा ? शायद ही इसका उत्तर कभी भी इस देश को मिल सके.
आज हम आपको मोदी सरकार के 8 साल के 8 बड़े फैसलों के बारे में बता रहे हैं. 2014 में तमाम वादों के साथ मोदी सरकार सत्ता में लौटी थी. लेकिन सत्ता में आते ही 2016 में सबसे पहले सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया. 8 नवंबर 2016 को अचानक जब भारत सरकार ने सभी 500 और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण यानी डीमोनेटाइजेशन की घोषणा कर दी. सरकार के इस फैसले को नोटबंदी कहा गया. सरकार ने नोटबंदी किए गए बैंक नोटों के बदले में ₹500 और ₹2,000 के नए नोट जारी करने की घोषणा की थी. नोटबंदी के बाद कई महीनों तक देश में लोग अपने पुराने नोट बदलवाने के लिए अफतार-तफरी के माहौल में बैंकों में कतार लगाकर खड़े दिखे. लोगों को पुराने नोट जमा करने और नए नोट हासिल करने के लिए बैंकों में लंबी लाइनें लगानी पड़ीं.
नोटबंदी फैसले का उद्देश्य – इस फैसले का मुख्य मकसद देश में डिजिटल उद्देश्य को बढ़ाने के साथ ही काले धन पर रोक लगाना था. जो आज तक संभव नहीं हो पाया. देश आज भी ये सवाल पूछ रहा है लेकिन इसका जबाब नहीं मिल रहा.
नोटबंदी के बाद सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक का सहारा लिया. 29 सितंबर 2016 को, भारत ने घोषणा की कि उसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादी लॉन्च पैड को निशाना बनाकर उनके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की, और “बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया” किया. पाकिस्तान ने भारत के दावे को खारिज कर दिया. भारत ने उरी हमले का बदला लेने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. जम्मू कश्मीर के उरी आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले के 10 दिनों के भीरत भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की थी. इस सर्जिकल स्ट्राइक में आतंकवादियों और ‘उनकी रक्षा करने वाले’ भारी संख्या में हताहत हुए थे. सर्जिकल स्ट्राइक ने भारत के जवाब देने के तरीके का रुख बदल दिया. इस खेल का देश को कितना लाभ हुआ कौन जानता है. लेकिन इसका लाभ बीजेपी को कई राज्यों के चुनाव में जरूर मिला.
मोदी सरकार के लिए जीएसटी कानून पास कराना काफी चुनौतीपूर्ण रहा था. हालांकि यह इस सरकार के सबसे बड़े फैसलों में से एक है. जीएसटी को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के नाम से जाना जाता है. यह एक अप्रत्यक्ष कर है जिसने भारत में कई अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पाद शुल्क, वैट, सेवा कर इत्यादि को रिप्लेस कर दिया है. माल और सेवा कर अधिनियम 29 मार्च 2017 को संसद में पारित किया गया था और 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है. भारत में माल और सेवा कर कानून एक व्यापक, बहु-स्तरीय, गंतव्य-आधारित कर है जो प्रत्येक मूल्यवर्धन पर लगाया जाता है. जीएसटी पूरे देश के लिए एकल घरेलू अप्रत्यक्ष कर कानून है. इस फैसले का लाभ देश को भले ही कितना भी हुआ हो लेकिन एक सच ये भी है कि इससे छोटे कारोबारियों की कमर ही तोड़ दी.
अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक उपलब्धियों में से एक संसद में एक समय में तीन तलाक विधेयक का पारित होना रहा है. यह एक ऐसा कानून है जिसने तत्काल तीन तलाक को एक आपराधिक अपराध बना दिया. तीन तलाक कानून, जिसे औपचारिक रूप से मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 कहा जाता है. इसे संसद में गहन बहस के बाद 1 अगस्त, 2019 को पारित किया गया था. मोदी सरकार का तीन तलाक पर कानून लाने का फैसला भी काफी विवादों में रहा. लेकिन एक वर्ग ने इसका समर्थन भी किया.
एक समय तीन तलाक को तलाक-ए-बिद्दत या ट्रिपल तलाक भी कहा जाता है. यह इस्लाम में प्रचलित एक प्रथा रही है, जिसके तहत एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को एक समय में तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे सकता था. इसमें पुरुष को तलाक के लिए कोई कारण बताने की आवश्यकता नहीं होती थी और पत्नी को तलाक की घोषणा के समय उपस्थित होने की भी आवश्यकता नहीं होती थी.
तथ्य यह है कि बीजेपी राज्यसभा में भी विधेयक पारित कराने में भी सफल रही थी जहां उसके पास बहुमत नहीं था. एक राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार ने तत्काल तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के लिए आक्रामक रुख अपनाया और इसे मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा कदम बताया. विपक्ष ने समुदाय के लिए सरकार की चयनात्मक चिंता पर सवाल उठाया और उस पर एक संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया.
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को एक बड़ा कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष रूप से बनाई गई धारा 370 तथा अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को निरस्त कर दिया. यह मोदी सरकार के सबसे बड़े फैसलों में से एक है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष अधिकार प्राप्त थे. अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए होता था. कश्मीर से इस अनुच्छेद को हटाने के लिए बीजेपी ने सरकार में आने से पहले अपने घोषणा पत्र में इसकी घोषणा की थी. सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद को हटाया और इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया. इसके अलावा लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में घोषित किया. निर्मला सीतारमण ने संसद को बताया था कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को हटाने के बाद, 890 केंद्रीय कानून वहां लागू हो गए हैं.
मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसले में सीएए कानून लाने को लेकर एक बेहद लंबा विवाद चला. नागरिकता (संशोधन) कानून को केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में संसद में पास किया था. इस बिल का उद्येश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है. सीएए कानून राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 10 जनवरी 2020 से लागू हो गया है. इस कानून को लेकर दिल्ली के शाहीन बाग समेत देश भर में एक लंबा विरोध प्रदर्शन चला था. दरअसल कानून के तहते केवल 6 शरणार्थी समुदायों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है, और इसमें मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है. इसके पीछे तर्क ये दिया गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है. हालांकि राष्ट्रव्यापी नागरिक रजिस्टर और नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोधी दावा करते हैं कि जो दस्तावेजों प्रदान करने में असमर्थ होंगे, उनकी नागरिकता रद्द कर दी जाएगी. सरकार इससे इनकार करती रही है. आज भी यह मसला देश को डरा रहा है.
पीएम किसान योजना 1 दिसंबर, 2018 से लागू हुई थी. इस योजना के तहत, जमीन रखने वाले सभी पात्र किसान प्रति वर्ष 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के योग्य हैं. राशि हर 4 महीने में 2,000 रुपये की 3 समान किस्तों में सीधे बैंक खाते में जमा की जाती है. कोरोना महामारी के बीच यह योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. योजना की खास बात यह है कि यह भारत सरकार से 100% वित्त पोषण के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है. यानी इसमें राज्यों का कोई हस्तक्षेप नहीं है और पैसा सीधे किसानों के खाते में जाता है.
आयुष्मान भारत योजना को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अप्रैल 2018 में शुरू किया गया था. कोरोना महामारी के बीच मोदी सरकार की आयुष्मान योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हुई है. केंद्र सरकार द्वारा आयुष्मान योजना के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रूपये का सालाना फ्री बीमा दिया जा रहा है. आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए आपको कॉमन सर्विस सेंटर पर जा कर आवेदन करना होता है. पात्रता चेक करने के बाद जरूरी दस्तावेज देने होते हैं. एक बार कार्ड बन जाने के बाद इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को ₹500000 का हेल्थ इंश्योरेंस प्रदान किया जाता है. आयुष्मान भारत योजना के तहत 1600 से ज्यादा रोगों का इलाज सूचिबद्ध अस्पतालों में दाखिल होने पर बिल्कुल निश्शुल्क किया जाता है. लेकिन इसका लाभ किसे मिल रहा है आज तक कोई नहीं जानता.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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