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मानव विकास सूचकांक में भारत फिर नीचे फिसला 

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मानव विकास सूचकांक में भारत फिर नीचे फिसला 

 

मोदी सरकार द्वारा विकास के तमाम दावों के बीच खबर है कि भारत ह्यूमन डेवेलपमेंट इंडेक्स में एक पायदान नीचे फिसल गया है. यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम द्वारा जारी 2021-22 ग्लोबल ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट में भारत 132वें पायदान पर है. जबकि पिछले साल इस रिपोर्ट में भारत 131वें पायदान पर था. एचडीआई रिपोर्ट में इस बार 191 देशों को शामिल किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक लिस्ट में शामिल ज्यादातर देशों के एचडीआई

में गिरावट आई है. किसी भी देश का एचडीआई निकालने के लिए वहां के लोगों की औसत आयु, शिक्षा और इनकम को खास तौर पर आधार बनाया जाता है.

यूएनडीपी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत की इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस और इनोवेशन पॉलिसी दुनिया के बाकी देशों के लिए उम्मीद बनी है. यानी भारत द्वारा रिन्यूएबल एनर्जी से लेकर पैंडेमिक की तैयारियों पर किए गए इन्वेस्टमेंट, सोशल सिक्योरिटी का इंश्योरेंस और लगातार इनोवेशन के पैमाने पर बाकी देशों के मुकाबले बेहतर काम किया गया है.

भारत में यूएनडीपी की रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव शोको नोडा ने बताया कि इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस और इनोवेशन पर जोर देने की नीति लोगों को अनिश्चितता का सामना करने में सक्षम बनाती है. इन तीनों ही क्षेत्रों में भारत बेहतर काम कर रहा है. भारत रिन्युएबल एनर्जी पर जोर देने, गरीब और कमजोर लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने और यूएनडीपी के सहयोग से को – विन के जरिए दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीनेशन मुहिम चलाने पर काफी जोर दे रहा है.

पहली बार लगातार दो साल तक एचडीआई वैल्यू में गिरावट दर्ज की गई है. 90 फीसदी देशों की एचडीआई वैल्यू 2020 और 2021 की रिपोर्ट में नीचे आई है. इसके लिए कोरोना महामारी, रूस, यूक्रेन जंग और क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है. लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी अपेक्षित औसत आयु में गिरावट भी एचडीआई वैल्यू में गिरावट की बड़ी वजह है. यूएनडीपी द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में पूरी दुनिया की लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी औसत अपेक्षित उम्र 72.8 साल थी, जो 2021 में घटकर 71.4 साल रह गई है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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