Friday, April 19, 2024
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महाराष्ट्र का खेला : शिंदे गुट ने नए स्पीकर से ठाकरे गुट को अयोग्य करार देने की मांग की

 

महाराष्ट्र में सियासी खेल जारी है. इस खेल का अंतिम परिणाम तो 11 जुलाई को देखने को मिलेगा. लेकिन विधान सभा में सोमवार को जो कुछ भी हुआ, और बीजेपी के राहुल नार्वेकर जिस तरह से स्पीकर चुन लिए गए, वो भी किसी क्लाइमैक्स कम नहीं रहा. इसे शिंदे गुट की बड़ी जीत माना जा रहा है. कल सोमवार को पटल पर शक्ति प्रदर्शन होना है. स्पीकर के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद एकनाथ शिंदे गुट ने आदित्य ठाकरे समेत शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग की है. शिंदे गुट के चीफ व्हिप भारत गोगावाले ने नए स्पीकर राहुल नार्वेकर को लेटर सौंपा है. लेटर में कहा है कि 16 विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन किया है. इसलिए इनकी सदस्यता रद्द हो. स्पीकर ने उनके लेटर को ले लिया है और उस पर विचार करने की बात कही है. हालांकि, शिवसेना भी शिंदे गुट के बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है. बागी गुट के 16 विधायकों की सदस्यता का मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में है. यह सब एक अद्भुत खेल है.
बता दें कि उद्धव सरकार को गिराने के बाद एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में पहला शक्ति परीक्षण जीत लिया है. बीजेपी के राहुल नार्वेकर विधानसभा के नए स्पीकर चुने गए हैं. नार्वेकर को 164 वोट, जबकि शिवसेना के राजन साल्वी को 107 वोट मिले. वोटिंग के दौरान एनसीपी के 7 और कांग्रेस के 2 विधायक गायब रहे.
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद विपक्ष की मांग पर डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल ने विधायकों की गिनती शुरू कराई. विधानसभा में अभी 287 विधायक हैं. और जीत के लिए 144 का मैजिक फिगर चाहिए था. हालांकि, वोटिंग में सिर्फ 275 विधायकों ने भाग लिया.
स्पीकर चुनाव में एनसीपी के नवाब मलिक, अनिल देशमुख, दत्ता भरने ,नीलेश लंके ,अण्णा बनसोडे ,दिलीप मोहिते, और बबन शिंदे गायब रहे, बीजेपी के मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप भी अनुपस्थित रहे. इसके साथ ही कांग्रेस के प्रणित शिंदे रंजीत कांबले के साथ ही ओवैसी की पार्टी एमआईएम के इस्माइल शाह भी वोटिंग में हिस्सा नहीं ले सके.
बता दें कि राहुल नार्वेकर 2014 से पहले शिवसेना में थे, लेकिन लोकसभा का टिकट नहीं मिला, तो पार्टी छोड़ एनसीपी में शामिल हो गए. 2014 में मवाल लोकसभा सीट से मैदान में उतरे, लेकिन हार मिली. फिर नार्वेकर बीजेपी में शामिल हो गए. 2016 में गवर्नर कोटे से नार्वेकर विधान परिषद पहुंचे. वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कोलाबा विधानसभा सीट से जीत हासिल की. राहुल नार्वेकर को बीजेपी गठबंधन के 106, शिवसेना के 39 और निर्दलीय 19 विधायकों का वोट मिला है.
शिवसेना में मचे घमासान को देखते हुए विधानसभा के भीतर उसका दफ्तर सील कर दिया गया. उद्धव ठाकरे की ओर से सुनील प्रभु और एकनाथ शिंदे की ओर से भारत गोगावाले ने व्हिप जारी किया था. उद्धव ठाकरे के समर्थन में 17 शिवसेना के विधायकों ने वोट किया है.
अब सबकी निगाहें कल होने वाले फ्लोर टेस्ट पर टिकी हैं. जब सदन में शिंदे सरकार शक्ति प्रदर्शन करेगी. यह तो साफ़ है कि मौजूदा खेल अभी शिंदे के पक्ष में है और संभव है कि सोमवार के फ्लोर टेस्ट में वो सफल भी हो जाए लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 11 जुलाई को होगी तब एक नया खेल फिर से सामने आ सकता है.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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