Home विदेश भारत चाहता है कि श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक स्थिति जल्द पटरी पर लौटे

भारत चाहता है कि श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक स्थिति जल्द पटरी पर लौटे

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भारत चाहता है कि श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक स्थिति जल्द पटरी पर लौटे

अंज़रुल बारी

भारत ने श्रीलंका की हालत पर चिंता जताई है और कहा है कि भारत अपने पड़ोसी देश श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने का समर्थन करता है. भारत ने कहा है कि श्रीलंका हमारा पडोसी देश है और इसके नाते पड़ोस प्रथम की नीति का भारत हमेशा ख्याल रखता है. बता दें कि श्रीलंका भयंकर तबाही से गुजर रहा है जिसके कारण लोग सड़कों पर उतर गए हैं. कई हिंसक बारदातें हुई है और कई मंत्री लोगों के निशाने पर आ गए हैं.
श्रीलंका की मौजूदा स्थिति के बारे में सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में कहा कि भारत की ‘पड़ोस प्रथम’ नीति को ध्यान में रखते हुए भारत ने इस वर्ष में ही इस कठिन स्थिति से बाहर निकलने में मदद के लिये श्रीलंका के लोगों को 3.5 अरब डालर से अधिक का सहयोग प्रदान किया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारत के लोगों ने वहां खाद्य, दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी को दूर करने के लिये मदद दी है.
बागची ने कहा कि ऐतिहासिक संबंधों के साथ श्रीलंका के करीबी पड़ोसी देश के रूप में भारत वहां लोकतंत्र, स्थिरता एवं आर्थिक स्थिति के पटरी पर आने का पूरा समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा श्रीलंका के लोगों के सर्वश्रेष्ठ हित में काम करेगा.
गौरतलब है कि श्रीलंका में चीजों की बढ़ती कीमतों और बिजली कटौती को लेकर पिछले महीने से लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद से श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ है, जिसके चलते देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है. हालत इतनी ख़राब हो गई कि विरोध प्रदर्शन ने बेहद हिंसक रूप ले लिया. श्रीलंका में सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़प में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर मंगलवार को आठ हो गई तथा 200 से अधिक लोग घायल हो गए.
हिंसा के दौरान हंबनटोटा में प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के पैतृक आवास सहित कई नेताओं के आवासों में आगजनी की गई. वीडियो फुटेज में हंबनटोटा शहर के मेदामुलाना में महिंद्रा राजपक्षे और उनके छोटे भाई एवं राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का आवास जलता दिखाई दे रहा है. श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के बीच महिंद्रा राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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