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भविष्य की चिंता से परेशान कांग्रेस चिंतन शिविर को लेकर चिंतित

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भविष्य की चिंता से परेशान कांग्रेस चिंतन शिविर को लेकर चिंतित

अखिलेश अखिल

कांग्रेस लम्बे समय के बाद भविष्य की चिंता से ग्रसित है. पार्टी को लगने लगा है कि समय से पहले पार्टी को बचाया नहीं गया तो पार्टी गर्त में चली जाएगी. पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद पार्टी के भीतर और बाहर बस एक ही मांग हो रही है कि पार्टी को बचाया जाय. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मान कर चल रही हैं कि अगर पार्टी को दुरुस्त नहीं किया गया तो पार्टी को बचाना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में अब पार्टी चिंतन शिविर करने की तैयारी में है. इसमें सभी नेता शिरकत करेंगे और पार्टी की कमजोरी और उसके भविष्य पर अपनी राय रखेंगे.
लेकिन दिक्कत ये है कि अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि यह शिविर कहाँ आयोजित किया जाय. इसी साल के अंत में दो राज्यों हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव होने हैं. पार्टी के कई नेता चाहते हैं कि इन चुनावी राज्यों में चिंतन शिविर आयोजित हो, लेकिन अभी तक इस पर राय नहीं बन सकी है. लेकिन उम्मीद है कि चिंतन शिविर की तारीख और स्थान जल्द ही तय हो जाएगा.
चिंतन शिविर से पहले पार्टी आलाकमान की ओर से कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक भी बुलाई जाएगी. पिछली सीडब्ल्यूसी बैठक में पार्टी ने चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए ‘चिंतन शिविर’ बुलाने का निर्णय लिया था. बता दें कि पार्टी अब केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता में है और महाराष्ट्र व झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, “हम तारीखों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं. साथ ही पार्टी के ‘चिंतन शिविर’ में जिन मामलों को ध्यान में रखा जाना है, उन पर भी चर्चा चल रही है.”
चिंतन शिविर की तैयारी को लेकर पहले भी कई बैठकें हो चुकी हैं. कांग्रेस वार रूम में मंगलवार को हुई बैठक में वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी, जयराम रमेश, मुकुल वासनिक और पार्टी महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने चिंतन शिविर की तैयारियों को लेकर चर्चा की. पार्टी के सूत्र के अनुसार, दो-तीन दिनों के भीतर ‘चिंतन शिविर’ के अंतिम प्रस्ताव जैसे एजेंडा, तारीख और स्थान पर काम समाप्त हो जाएगा.
बता दें कि 13 मार्च को हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी पार्टी नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया था. इनमें जी 23 के नेता भी शामिल थे, जो मौजूदा नेतृत्व की आलोचना करते रहे हैं और संगठनात्मक बदलाव की मांग बार बार उठाते रहे हैं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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