सरकार को विपक्षी दलों में सेंध लगाने में समय नहीं लगता लेकिन बेरोजगारी को दूर करने से वह कतराती रहती है. सरकार का इकबाल अगर प्रचार तंत्र से ही बरकरार रहता है तो जनता की समस्या सुलझाने से क्या लाभ ! मोदी सरकार इसी नीति पर चल रही है. उसके निशाने पर महंगाई और बेरोजगारी नहीं है. निशाने पर कांग्रेस है और उसे ख़त्म करने की दिलचस्प नीति. देश इसी चक्रव्यूह में फंसा है.
इधर देश में बेरोजगारी दर एक बार फिर ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में बेरोजगारी दर 8.3 फीसदी पर है जोकि बीते 12 महीनों का उच्चतम स्तर है। पिछले साल यानी अगस्त 2021 में भी बेरोजगारी दर 8.35 फीसदी थी।
आंकड़ों के मुताबिक शहरों और ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर में अंतर है. शहरों में जहां बेरोजगारी दर 9.6 फीसदी है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह 7.7 फीसदी है. बीते एक साल के दौरान ग्रामीण और शहरी इलाकों में बेरोजगारी के आंकड़े चिंताजनक रहे हैं और आमतौर पर शहरों में बेरोजगारी अधिक रही है. सिर्फ फरवरी और जून माह में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी का आंकड़ा शहरों से अधिक रहा है.
राज्यवार बेरोजगारी के आंकड़ों पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है. जहां बेरोजगारी सबसे कम है. वहां बेरोजगारी की दर 0.4 फीसदी यानी आधे फीसदी से भी कम है. वहीं हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में यह आंकड़े 30 फीसदी से ऊपर है. वहीं मेघालय, महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की दर 3 फीसदी से नीचे है.
आपको बता दें कि आखिर बेरोजगारी दर होती क्या है? बेरोजगारी दर दरअसल वह आंकड़ा है, जिसमें 15 वर्ष और ऊपर से उम्र के ऐसे लोगों की संख्या को आंका जाता है जो काम की तलाश कर रहे हैं लेकिन उन्हें काम या नौकरी नहीं मिल रही है. किसी भी व्यक्ति को बेरोजगार तय करने के लिए देखना होता है कि क्या वह काम की तलाश कर रहा है और वह श्रम बल यानी लेबर फोर्स का हिस्सा है, लेकिन उसे काम नहीं मिल रहा है.
वैसे तो मोटे तौर पर यह देखा जाता है कि काम करने योग्य कितने लोग काम की तलाश कर रहे हैं, और उनमें से कितने फीसदी लोगों को काम मिल रहा है. जितने लोगों को काम नहीं मिल पाता है उसी औसत को बेरोजगारी दर कहा जाता है. इसे आंकने के लिए लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट यानी श्रम बल की भागीदारी दर को देखा जाता है और इसमें समय – समय पर बदलाव होता रहता है. सीधे तौर पर कहें कि बेरोजगारी दर आबादी का प्रतिशत नहीं होती है, बल्कि श्रम बल में काम तलाशने या हासिल करने वाले लोगों के प्रतिशत के आधार पर तय होती है.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2022 में श्रम बल में 40 लाख लोगों का इजाफा हुआ, लेकिन इसी दौरान अर्थव्यवस्था में नई नौकरियां सृजित होने बजाए करीब 26 लाख नौकरी कम हो गईं. यानी श्रम बल में कुल 66 लाख नए लोग आए जिनके पास काम नहीं था. इसी के चलते अगस्त माह में बेरोजगारी दर में इजाफा दर्ज हुआ है.