Monday, December 9, 2024
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बेंगलुरु का ईदगाह मैदान, सरकारी संपत्ति घोषित, वक्फ बोर्ड का बड़ी कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान

 

कर्नाटक में बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार मुसलमानों के मुद्दे को लेकर एक बार फिर बेनकाब हो है. दरअसल ग्रेटर बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की ओर से वक्फ जमीन ईदगाह मैदान को राजस्व विभाग की संपत्ति घोषित कर दिया गया है. बीबीएमपी द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद वक्फ बोर्ड ने कड़ा रुख इख्तियार कर लिया है. वक्फ बोर्ड ने एलान किया है कि ईदगाह की जमीन से सरकारी कब्जा हटवाने के लिए अब संघर्ष किया जाएगा.

समाचार एजेंसियों के मुताबिक, बोर्ड ने रविवार को कहा कि बीबीएमपी का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवमानना है. इसके लिए बोर्ड कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहा है. बीबीएमपी के फैसले पर आपत्ति जताते हुए वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शफी सादी ने कहा कि बोर्ड कानूनी लड़ाई लड़ेगा. सादी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1965 में फैसला दिया था कि ईदगाह मैदान वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. इसलिए फैसला मान्य नहीं है और यह आदेश अदालत की अवमानना है.

शफी सादी ने कहा कि हम अब कानूनी विशेषज्ञों से संपर्क कर रहे हैं. बीबीएमपी ने पहले कहा था कि संपत्ति उनकी नहीं है, लेकिन शनिवार को उन्होंने एक आदेश जारी कर कहा कि ईदगाह मैदान राजस्व विभाग की संपत्ति है. वक्फ बोर्ड ने बीबीएमपी के साथ खाता (संपत्ति कानूनी दस्तावेज) के लिए आवेदन किया था, जिसे खारिज कर दिया गया. संयुक्त आयुक्त श्रीनिवास ने वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी कर ईदगाह मैदान के स्वामित्व का दावा करने के लिए दस्तावेज जमा करने को कहा था.

बीबीएमपी ने दस्तावेज पेश करने के लिए दो महीने का समय दिया था. चूंकि वक्फ बोर्ड आवश्यक दस्तावेज पेश करने में विफल रहा. लिहाजा, बीबीएमपी ने खाता जारी करने से इनकार कर दिया और कर्नाटक राजस्व विभाग को भूमि का डिफॉल्ट मालिक घोषित कर दिया. चामराजनगर नागरिक मंच ने ईदगाह मैदान परिसर में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए आवेदन दिया था. कुछ महीने पहले जब बीबीएमपी ने वक्फ से संबंधित दस्तावेज जमा करने को कहा था, तो विवाद शांत हो गया था.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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