Tuesday, April 16, 2024
होमताज़ातरीनबूढ़े नेताओं की राजनीतिक माया को चुनौती देती नूज़ीलैण्ड की युवा पीएम 

बूढ़े नेताओं की राजनीतिक माया को चुनौती देती नूज़ीलैण्ड की युवा पीएम 

राजनीति में कुर्सी की चाहत ही इंसान को पतित बना देती है. धर्म दर्शन कहता है कि उम्र के साथ मनुष्य की माया कम होनी चाहिए लेकिन राजनीति यह शिक्षा नहीं देती. उम्र के साथ ही राजनीति की चाह बढ़ती जाती है. शरीर का अंग भले ही शिथिल हो जाए, दिखाने के लिए युवा बने रहने का खेल नेता लोग करते रहते हैं. लेकिन सत्य को कौन टाल सकता है ? सत्य को छुपाया भी तो नहीं जा सकता ! भारत में ही राजनीति में आये कई त्यागियों की कहानी चर्चित है. पुराने नेताओं को ही छोड़ दीजिये, हाल के नेताओं में ही अटल बिहार बाजपेयी का उदहारण पेश है. उनकी सरकार अविश्वास का सामना कर रही थी. वो चाहते तो सरकार को बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. ईमान को देखा, संस्कार को समझा और राजनीति कलंकित होने से बचाने के लिए सरकार की आहुति दे दी. क्या अब कोई ऐसा कर सकता है ? मौजूदा भारत की राजनीति में तो हरगिज नहीं.

उधर नूज़ीलैण्ड की युवा प्रधानमंत्री ने एक उदहारण पेश किया है. वहाँ इसी साल चुनाव होने हैं, लेकिन साल भर पहले प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्नर्ड ने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है. दुनिया की इस युवा प्रधानमंत्री की खूब प्रशंसा हो रही है. भारत में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस युवा प्रधानमंत्री की तारीफ की है, और इसकी तुलना भारतीय राजनीति से की है.

जैसिंडा ने 19 जनवरी को घोषणा की है कि अगले महीने प्रधानमंत्री के तौर पर वह अपना पद छोड़ रही हैं, और 7 फरवरी उनका पीएम के तौर पर आखिरी दिन होगा. इस साल अक्टूबर में वहां चुनाव होने हैं, तब तक वो एक सांसद के तौर पर काम करेंगी. उनकी इस घोषणा के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी ट्वीट किया है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा, “दिग्गज क्रिकेट कमेंटेटर विजय मर्चेंट ने एक बार उस समय रिटायरेंट की बात कही थी, जब उनका करियर पीक पर था, तब उन्होंने कहा था कि तब जाओ जब लोग कहें- क्यों जा रहे हो, ना कि तब, जब लोग पूछें कि ये जा क्यों नहीं रहा है. उनकी इसी बात का पालन करते हुए न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने अपना पद छोड़ने का ऐलान किया है. भारतीय राजनीति में उनके जैसे लोगों की जरूरत है.”

न्यूजीलैंड के सार्वजनिक प्रसारक आरएनजेड ने ट्वीट कर बताया कि प्रधानमंत्री जैसिंडा इस साल चुनाव नहीं लड़ेंगी और प्रधानमंत्री के रूप में उनका आखिरी दिन 7 फरवरी होगा और वहां 14 अक्टूबर को चुनाव होने हैं. मीडिया से बात करते हुए जैसिंडा ने कहा कि पीएम पद से इस्तीफा देने के पीछे कोई विशेष कारण नहीं है.

स्थानीय न्यूज साइट एनजेड हेराल्ड के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘यह मेरे कार्यकाल का साढ़े पांचवां साल चल रहा है’ उन्होंने कहा, ‘मैं जा रही हूं क्योंकि इस तरह के एक विशेषाधिकार प्राप्त पद के साथ आप पर एक बड़ी जिम्मेदारी भी आती है.’ प्रधानमंत्री जैसिंडा की लेबर पार्टी शनिवार को कॉकस वोट के साथ उत्तराधिकारी की तलाश शुरू करेगी. 2017 में सत्ता में आने के समय केवल 37 साल की उम्र में जैसिंडा दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला राज्य नेताओं में से एक हैं.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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