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बीजेपी पर कॉर्पोरेट घराने मेहरबान, बीजेपी को मिला 720 करोड़ का चंदा

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बीजेपी पर कॉर्पोरेट घराने मेहरबान, बीजेपी को मिला 720 करोड़ का चंदा

अंज़रुल बारी

कॉरपोरेट और व्यावसायिक संगठनों ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय पार्टियों को 921.95 करोड़ रुपये का चंदा दिया. इन घरानो की मेहरबानी देखते ही बनती है. बीजेपी को सबसे ज्यादा 720.407 करोड़ रुपये मिले. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सिस्ट ने इस अवधि में कॉरपोरेट चंदे से कोई आय नहीं दर्शाई है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.
इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के बीच कॉरपोरेट्स से राष्ट्रीय पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे में 109 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इस रिपोर्ट को निर्वाचन आयोग को पार्टियों की ओर से एक वित्तीय वर्ष में 20,000 रुपये से अधिक का चंदा देने वाले दानकर्ताओं की जानकारी पर तैयार किया गया है.
एडीआर ने पांच दलों के चंदे का विश्लेषण किया है. इनमें भारतीय जनता पार्टी, इंडियन नेशनल कांग्रेस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस, और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया – मार्क्सिस्ट , शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2019-20 में बीजेपी और कांग्रेस को सबसे ज्यादा डोनेशन दिया. ट्रस्ट ने एक साल में ही दोनों पार्टियों को 38 बार चंदा दिया, जो कुल 247.75 करोड़ रुपये था.
रिपोर्ट में कहा गया कि बीजेपी ने प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 216.75 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 31.00 करोड़ रुपये प्राप्त करने की जानकारी दी. बी.जी शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्रााइवेट लिमिटेड ने 2019-20 में एनसीपी को सबसे ज्यादा चंदा दिया. बता दें कि प्रूडेंट सबसे धनी चुनावी ट्रस्ट है और 2013-14 से बीजेपी को सबसे ज्यादा फंड देने वालों में शामिल है. इलेक्टोरल ट्रस्ट्स को दिए जाने वाले कॉरपोरेट डोनेशन का लगभग 90 प्रतिशत धन उसके पास से जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार 2012-13 से 2019-20 की अवधि के दौरान, राष्ट्रीय दलों को 2019-20 में सबसे ज्यादा 921.95 करोड़ का कॉर्पोरेट चंदा मिला. इसके बाद 2018-19 में 881.26 करोड़ और 2014-15 (16वीं लोकसभा चुनाव के दौरान) में 573.18 करोड़ रुपये मिले थे. 2019-20 में कॉर्पोरेट डोनेशन 2012-13 और 2019-20 के बीच किए गए कुल डोनेशन का 24.62 प्रतिशत है. 2012-13 और 2019-20 के बीच, कॉर्पोरेट और व्यावसायिक संगठनों से राष्ट्रीय पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे में 1,024 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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