Monday, December 9, 2024
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बिल्कीस बानो द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज, दोषियों की रिहाई को किया था चैलेंज

गुजरात दंगों की पीड़िता बिल्कीस को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दंगों के 11 दोषियों की रिहाई को चैलेंज करने वाली पीड़िता बिलकीस बानो की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका में बिलकिस बानो ने अपने दोषियों की रिहाई का जमकर विरोध किया था. बिल्कीस ने अपनी याचिका में साल 2002 में उसके साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की जल्द रिहाई को चैलेंज किया था.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर जल्दी सुनवाई से इनकार कर दिया था. बिल्कीस बानो की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ से अनुरोध किया था कि इस मामले पर सुनवाई के लिए एक अन्य पीठ का गठन किए जाने की ज़रूरत है. जिस पर सीजेआई चंद्रचूजड़ ने कहा था, “रिट याचिका को सूचीबद्ध किया जाएगा. कृपया एक ही चीज का जिक्र बार-बार मत कीजिए.”

2002 में गोधरा ट्रेन हादसे के बाद भड़के दंगों के दौरान बिलकीस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. घटना के वक्त बिल्कीस की उम्र 21 साल थी और वह पांच महीने की गर्भवती थीं. 21 जनवरी 2008 को सीबीआई की विशेष अदालत ने 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी. इस साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया था.

गुजरात सरकार ने 1992 के नियमों का हवाला देते हुए उम्रकैद की सज़ा काट रहे सभी दोषियों की सजा को 14 सालों में बदल दिया था. इससे पहले दोषियों ने सजा के खिलाफ पहले बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन हाईकोर्ट ने दोषियों की याचिका खारिज कर दी थी. फिर वो सभी सुप्रीम कोर्ट गए थे, वहां भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. बिलकीस बानो की तरफ से दाखिल पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला, तो नियम भी वहां के लागू होने चाहिए, गुजरात के नहीं.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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