Sunday, October 6, 2024
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बंगाल बीजेपी में भगदड़, कई सांसद-विधायक टीएमसी में जाने को तैयार 

 

अखिलेश अखिल

 

बीजेपी भले ही देश के कई राज्यों में आगे बढ़ती दिख रही है लेकिन बंगाल में वह सिकुड़ती जा रही है. पिछले लोकसभा और विधान सभा चुनाव में बीजेपी को बंगाल में बड़ी सफलता मिली थी. बीजेपी बंगाल की मुख्य विपक्षी पार्टी भी हो गई. लेकिन ममता के सामने अब उसकी एक नहीं चल रही है. पिछले विधान सभा चुनाव से पहले जो नेता टीएमसी छोड़कर बीजेपी में गए हैं उनमे से अधिकतर तो वापस लौट गए हैं और अब कई सांसद और दर्जनों विधायक टीएमसी में लौटने को तैयार हैं.

दो दिन पहले तृणमूल कांग्रेस में वापसी करने वाले बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने मंगलवार को कहा कि उनकी तरह कई और लोग आगे बढ़ने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले टीएमसी छोड़ने वाले अर्जुन सिंह ने यह भी दावा किया कि वह एक अन्य बीजेपी सांसद सौमित्र खान के संपर्क में हैं, लेकिन उनके अगले कदम के बारे में केवल समय ही बताएगा.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “कई लोग टीएमसी (बीजेपी से) में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं. बस इंतजार करें और देखें कि क्या होता है.” यह पूछे जाने पर कि क्या खान, जो पिछले आम चुनाव से पहले टीएमसी छोड़ चुके थे, क्या खेमे भी बदलेंगे, सिंह ने जवाब दिया, “सौमित्र मेरे छोटे भाई की तरह हैं. मैं अब इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. क्या आप चाहते हैं कि मैं सब कुछ प्रकट कर दूं आज? बस रुको और देखो.”

हालांकि, खान ने बैरकपुर के सांसद की अटकलों का खंडन किया, लेकिन इस बात पर सहमति जताई कि सिंह और कुछ अन्य टीएमसी सांसदों के साथ उनके सौहार्दपूर्ण संबंध हैं.

“मेरे सुखेंदु शेखर रे और अपरूपा पोद्दार जैसे टीएमसी सांसदों के साथ अच्छे संबंध हैं. लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि जिस दिन अभिषेक बनर्जी पार्टी छोड़ेंगे, मैं टीएमसी में शामिल हो जाऊंगा. मैंने कभी भी अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में काम नहीं करने की कसम खाई है.”

बिष्णुपुर से दो बार के लोकसभा सांसद रहे खान ने अभिषेक बनर्जी के साथ अपने मतभेदों को लेकर टीएमसी को छोड़ दिया था, जो उस समय टीएमसी युवा विंग के अध्यक्ष थे. अर्जुन सिंह के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए, बीजेपी सांसद और राज्य महासचिव लॉकेट चटर्जी ने दावा किया कि टीएमसी नेता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई में अविश्वास का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “लेकिन हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि अगर कोई पार्टी छोड़ना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है. अवसरवादियों के लिए पार्टी छोड़ने का दरवाजा खुला है. हमें अपने समर्पित जमीनी कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है.” टीएमसी के राज्य प्रवक्ता कुणाल घोष ने चटर्जी का यह दावा करते हुए मज़ाक उड़ाया कि अगर भगवा खेमे ने अपने दरवाजे खोलने की हिम्मत की तो कोई भी नेता नहीं रहेगा. राज्य के महासचिव घोष ने कहा, “उस स्थिति में, पश्चिम बंगाल में बीजेपी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.”

पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय सहित पांच विधायकों के पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से टीएमसी में शामिल होने के बाद राज्य बीजेपी इकाई अपने झुंड को एक साथ रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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