पिछले दिनों संपन्न हुए प्रवासी भारतीय सम्मलेन के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो आंकड़े पेश किये हैं, उससे इस बात की जानकारी मिलती है कि भारत के विकास में प्रवासी भारतीय लोगों का योगदान लगातार बढ़ता ही जा रहा है. सीतारमण ने बताया कि वर्ष 2022 के दौरान भारतवंशियों द्वारा देश में भेजी गई रकम इसके पिछले साल के मुकाबले 12 फीसदी बढ़कर करीब 100 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गई.
सीतारमण ने इंदौर में ‘प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन’ के एक सेशन के दौरान कहा, ‘कोविड -19 महामारी शुरू होने के बाद 2022 के दौरान भारतवंशियों ने विदेश से देश में लगभग 100 अरब अमेरिकी डॉलर भेजे हैं, जो 2021 के मुकाबले 12 फीसजी ज्यादा है.’ उन्होंने कहा, ‘लोगों ने सोचा था कि महामारी के प्रकोप के चलते भारत लौटे पेशेवर शायद लौटकर विदेश नहीं जाएंगे, लेकिन वो वहां पहले के मुकाबले ज्यादा तादाद में रोजगार के लिए गए और पहले के मुकाबले ज्यादा रकम देश में पहुंचाई.’
वित्त मंत्री ने प्रवासी भारतीयों को ‘भारत का वास्तविक राजदूत’ करार दिया और उनसे अपील की, कि जहां तक संभव हो सके, वो भारत में बने उत्पादों और सेवाओं का इस्तेमाल करें, ताकि देश के अलग-अलग ब्रांड का दुनिया भर में प्रचार हो सके. उन्होंने कहा कि भारतवंशियों द्वारा देश के छोटे-बड़े कारोबारियों के साथ भागीदारी भी की जानी चाहिए ताकि आजादी के अमृत काल के दौरान अगले 25 साल में प्रवासी भारतीयों के उद्यमिता कौशल को भुनाया जा सके. सीतारमण ने यह भी कहा कि ‘चीन प्लस वन’ नीति के बाद दुनिया अब ‘यूरोपीय संघ प्लस वन’ नीति की बात भी कर रही है. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के सामने भारत को ऐसे देश के रूप में पूरी मजबूती से प्रस्तुत कर रही है, जहां वो चीन और ईयू के अलावा अपने कारखाने लगा सकती हैं.
उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी, डिजिटल तकनीक, ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर डिजाइनिंग, दवा निर्माण व अन्य क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों के दबदबे का हवाला देते हुए कहा कि देश ज्ञान और प्रगति का वैश्विक केंद्र बन रहा है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘आजादी के अमृत काल में आकांक्षाओं से भरा भारत चार ‘आई’ पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा, जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर, इन्वेस्टमेंट, इनोवेशन और इन्क्लूजन शामिल हैं.’
यह बात साफ़ हो गया है कि भारत की आर्थिक समृद्धि में प्रवासी भारतीयों का योगदान लगातार बढ़ रहा है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार की नीतियां अनुकूल रही तो आने वाले समय में यह योगदान और बढ़ेगा, और ऐसा हुआ तो आदेश को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता.