देश में नए संसद भवन को बनाने का काम चल रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्यों का जायजा लिया. इस दौरान पीएम ने नए भवन की छत पर लगाए जा रहे 20 फीट ऊंचे अशोक स्तंभ का अनावरण भी किया. अनावरण कार्यक्रम के दौरान उनके साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय शहरी विकासमंत्री हरदीप सिंह पूरी और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद रहे. अशोक स्तंभ की यह मूर्ति कांस्य धातु से बनाई गई है. इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है. इसका वजन 9500 किलो बताया जा रहा है. अशोक स्तंभ को कई चरणों में बनाया गया है. जिसमें स्केचिंग, पॉलिसिंग सहित कई चरण शामिल हैं.
हालांकि देश भर में नए संसद भवन की इमारत को लेकर जबरदस्त बहस भी छिड़ी है. इस बीच एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर सवाल खड़े कर दिए. ओवैसी ने कहा कि पीएम मोदी ने राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण करके गलत काम किया है. ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘संविधान संसद, सरकार और न्यायपालिका की शक्तियों को अलग करता है. सरकार के प्रमुख के होने के नाते पीएम मोदी को नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था. लोकसभा का अध्यक्ष लोकसभा का प्रतिनिधित्व करता है जो सरकार के अधीनस्थ नहीं है. सभी संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है.’ गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा कि नया संसद भवन आत्मनिर्भर व नए भारत की पहचान बन जन-जन की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति का साक्षी बनेगा. जिसके शीर्ष पर स्थापित यह राष्ट्रीय चिन्ह हमेशा मुकुटमणि की तरह देदीप्यमान रहेगा.
उधर, कांग्रेस ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि जब संसद सारी पार्टियों का है तो संसद से जुड़े कार्यक्रम में दूसरी पार्टियों को न्योता क्यों नहीं दिया गया. CPM की तरफ से भी इस पूरे विवाद पर एक ट्वीट किया गया. उनके मुताबिक पीएम ने अनावरण के दौरान पूजा-पाठ किया, जो ठीक नहीं था. ट्वीट में लिखा गया है कि अशोक चिन्ह के अनावरण को किसी धार्मिक कार्यक्रम से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. ये हर किसी का प्रतीक है ना कि सिर्फ उनका जो धर्म में आस्था रखते है. धर्म को राष्ट्रीय कार्यक्रमों से अलग रखा जाना चाहिए.
बता दें कि निर्माणाधीन संसद भवन की छत पर बने अशोक के इस स्तंभ का निर्माण दो हजार से ज्यादा लोगों ने मिलकर किया है. संसद भवन की इस नई इमारत में 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. बताया जा रहा है कि इस इमारत का निर्माण दिसंबर 2022 तक पूरा हो जाएगा. शीतकालीन सत्र तक नए संसद भवन की ये इमारत बनकर तैयार हो जाएगी.