![पीएम पर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे बरसे, कहा अभी तक मोदी सरकार ने नोटबंदी की नाकामी को स्वीकार नहीं किया ? पीएम पर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे बरसे, कहा अभी तक मोदी सरकार ने नोटबंदी की नाकामी को स्वीकार नहीं किया ?](https://freejournalmedia.in/wp-content/uploads/2022/11/IMG-20221108-WA0004.jpg)
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भड़कते हुए पूछा कि आखिर क्या कारण है कि पीएम मोदी ने अभी तक अपनी सरकार में 2016 के दौरान उठाए गए नोटबंदी के कदम की “महा विफलता” को स्वीकार क्यों नहीं किया है ? जिसके कारण “अर्थव्यवस्था का पतन” हुआ.
नोटबंदी की छठी वर्षगांठ से एक दिन पहले खड़गे ने कहा कि “मीडिया में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया है कि देश में जनता के बीच मौजूद नकदी 21 अक्तूबर 2022 तक 30.88 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. खड़गे ने एक ट्वीट में कहा, “नोटबंदी के जरिये देश को कालेधन से मुक्त करने का वादा किया गया था. मगर इसने व्यवसाय को बुरी तरह से नष्ट कर दिया और नौकरियों को खत्म कर दिया. ‘मास्टरस्ट्रोक’ के छह साल बाद सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नकदी 2016 की तुलना में 72 फीसदी अधिक है.”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि “प्रधानमंत्री ने अभी तक इस ‘महा विफलता’ को स्वीकार नहीं किया है, जिसके कारण अर्थव्यवस्था का पतन हुआ.” इसके बाद हिंदी में एक ट्वीट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि “काला धन नहीं आया, बस गरीबी आई और अर्थव्यवस्था कैशलेस नहीं, बल्कि कमजोर हुई. आतंकवाद नहीं, करोड़ों छोटे व्यापार और रोजगार खत्म हुए. ‘राजा’ ने नोटबंदी में, ‘50 दिन’ का झांसा दे कर अर्थव्यवस्था का नाश कर दिया.”
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से पखवाड़े के आधार पर शुक्रवार को जारी धन आपूर्ति आंकड़ों के अनुसार, इस साल 21 अक्तूबर तक जनता के बीच चलन में मौजूद मुद्रा का स्तर बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह आंकड़ा चार नवंबर, 2016 को समाप्त पखवाड़े में 17.7 लाख करोड़ रुपये था. यह आंकड़ा चार नवंबर, 2016 को समाप्त पखवाड़े में चलन में मौजूद मुद्रा के स्तर से 71.84 प्रतिशत अधिक है. इससे पता चलता है कि भुगतान के नए और सुविधाजनक डिजिटल विकल्प के लोकप्रिय होने के बावजूद अर्थव्यवस्था में नकदी का उपयोग लगातार बढ़ रहा है.
बता दें कि जनता के पास मुद्रा से तात्पर्य उन नोटों और सिक्कों से है जिनका उपयोग लोग लेन-देन, व्यापार करने और सामान एवं सेवाओं को खरीदने के लिए किया जाता है. प्रचलन में मुद्रा का आंकड़ा, कुल मुद्रा में से बैंकों के पास पड़ी नकदी को घटा देने के बाद निकाला जाता है. गौरतलब है कि आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार और काले धन की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था.