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पाकिस्तान में इमरान सरकार का गिरना तय, विपक्ष हुआ मजबूत

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पाकिस्तान में इमरान सरकार का गिरना तय, विपक्ष हुआ मजबूत

अंज़रूल बारी

पाकिस्तान की इमरान सरकार का जाना अब लगभग तय हो गया है. जिस तरह से उनकी पार्टी के नेता उनसे अलग हो रहे हैं और सहयोगी पार्टी विपक्ष के साथ मिल रहे हैं उससे साफ़ हो गया है कि अगले सप्ताह तक इमरान की सरकार गिर जाएगी.
बता दें कि इमरान खान सरकार के खिलाफ 31 मार्च से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होगी. इसके बाद 3 अप्रैल को वोटिंग होगी, लेकिन अब जो समीकरण बन गए हैं उस हिसाब से इमरान खान के लिए बहुमत साबित करना असंभव हो गया है. इमरान खान के करीब 30 सांसद बागी हैं. वहीं एमक्यूएम के पास 7 सांसद हैं. अब जबकि एमक्यूएम ने समर्थन वापस लेकर विपक्ष के साथ जाने का फैसला किया है तो इमरान खान बहुमत से काफी पीछे आ गए हैं, जबकि विपक्षी दल ने बहुमत का आंकड़ा जुटा लिया है.
समाचार एजेंसियों के मुताबिक, मंगलवार रात इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की प्रमुख सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम) और विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच एक डील हुई. इसके तहत एमक्यूएम इमरान खान से समर्थन वापस लेगी. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस फैसले के बाद अब इमरान खान की सरकार अल्पमत में आ गई है.
उधर, पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने ट्वीट करके बताया कि, “संयुक्त विपक्ष और एमक्यूएम एक समझौते पर पहुंच गए हैं. राबता समिति एमक्यूएम और पीपीपी सीईसी उक्त समझौते की पुष्टि करेंगे और इसके बाद हम कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को विस्तृत जानकारी देंगे. फिलहला पाकिस्तान को बधाई.”
याद रहे कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 342 सदस्य हैं, यानी यहां बहुमत के लिए 172 सीटों की जरूरत होती है. एमक्यूएम के सरकार से हटने के बाद अब इमरान खान के पास 164 सांसदों का सपोर्ट बचता है। इसमें इमरान की खुद की पार्टी पीटीआई के पास 155, पीएमएलक्यू के पास 4, जीडीए के पास 3, बीएपी के पास 1 (जुबैदा जलाल) और एएमएल के पास 1 सीट है. वहीं विपक्ष की बात करें तो उसके पास बहुमत से ऊपर का आंकड़ा है. इसमें पीएमएल-एन के पास 84, पीपीपी के पास 56, एमक्यूएम के पास 7, एमएमए के पास 14, इंडिपेंडेंट 3, पीएमएल-क्यू 1, एएनपी 1, बीएनपीएम 4, बीएपी 4 और जेडब्ल्यूएपी के पास 1 सीट है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर बहुमत साबित करना है. वह कुर्सी बचाने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच इमरान खान को मंगलवार देर रात जो बड़ा झटका लगा है उसके बाद साफ़ हो गया है कि उनके सारे खेल ख़त्म हो गए हैं. अंतिम घडी में अगर कोई करिश्मा हो जाए तो बड़ी बात होगी लेकिन राजनीति तो अंकगणित से चलती है जो अब इमरान खान के साथ नहीं है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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