Saturday, December 21, 2024
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नोटबंदी पर आज सुप्रीम कोर्ट सुना सकता है अहम फैसला 

सुप्रीम कोर्ट आज 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना बड़ा फैसला सुना सकता है. जस्टिस एस.ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजेज़ की संविधान बेंच फैसला सुनाएगी. जस्टिस नजीर दो दिन बाद 4 जनवरी को सेवानिवृत्त होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को केंद्र और आरबीआई को निर्देश दिया था कि सरकार के 2016 के विमुद्रीकरण फैसले (नोटबंदी) से संबंधित फाइलों और दस्तावेज को अवलोकन के लिए रिकॉर्ड पर लाया जाए और फैसला सुरक्षित रख लिया था. बेंच में शामिल जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न ने कहा, “भारतीय संघ और भारतीय रिजर्व बैंक के वकील को प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया जाता है.”

केंद्र का प्रतिनिधित्व अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने और आरबीआई का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने किया. कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम और श्याम दीवान पेश हुए. एजी ने कहा कि वह संबंधित रिकॉर्ड सीलबंद लिफाफे में जमा करेंगे.

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नागरत्न ने कहा कि चूंकि यह एक आर्थिक नीति से जुड़ा मामला है, इसलिए अदालत हाथ जोड़कर बैठ नहीं सकती. हम मानते हैं कि सरकार ने अच्छा सोचकर ही फैसला लिया होगा, लेकिन हम देखना चाहते हैं कि फैसला लेते समय रिकॉर्ड पर क्या था.”

एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करते हुए चिदंबरम ने कहा था कि सरकार ने पूरे विश्वास के साथ निर्णय लिया, लेकिन निर्णय लेने की प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेजों को अदालत के सामने रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार संसद के माध्यम से निर्णय लेने का मार्ग अपनाती तो सांसद इस नीति को रोक देते, इसलिए सरकार ने विधायी मार्ग का पालन नहीं किया.

चिदंबरम ने कहा कि आरबीआई गवर्नर को इस तथ्य से पूरी तरह अवगत होना चाहिए कि 1946 और 1978 में आरबीआई ने विमुद्रीकरण का विरोध किया था और तब विधायिका की पूर्ण शक्ति का सहारा लिया गया था. आरबीआई को अपना इतिहास जानना चाहिए, जो आरबीआई द्वारा प्रकाशित किया गया है.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोटों की वैध मुद्रा को वापस लेने का निर्णय परिवर्तनकारी आर्थिक नीति कदमों की श्रृंखला में महत्वपूर्ण कदमों में से एक था और यह निर्णय आरबीआई के साथ व्यापक परामर्श के बाद लिया गया था. वित्त मंत्रालय ने एक हलफनामे में कहा है, “कुल मुद्रा मूल्य के एक महत्वपूर्ण हिस्से को वापस लेना एक सुविचारित निर्णय था. यह आरबीआई के साथ व्यापक परामर्श और अग्रिम तैयारियों के बाद लिया गया था.”

उन्होंने आगे कहा कि नकली नोट, काला धन, आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने और कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए विमुद्रीकरण की रणनीति आर्थिक नीति का हिस्सा था. 08.11.2016 को जारी अधिसूचना नकली नोटों के खतरे से लड़ने, बेहिसाब संपत्ति के भंडारण और विध्वंसक गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए एक बड़ा कदम था.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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