Thursday, April 25, 2024
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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 का दावा : 82 फीसदी मैरेड महिलाएं यौन हिंसा की शिकार

अंज़रुल बारी

क्या शराब की वजह से भारतीय महिलाओं का जीना दूभर हो गया है ? क्या शराब की वजह से भारतीय महिलायें हिंसा की शिकार हो रही है और क्या शराब ने भारतीय परिवार को विखंडन के कगार पर पहुंचा दिया है ? ये तमाम ऐसे सवाल है जो इस बात की गवाही देते हैं कि शराब ने भारतीय परिवार को तहस नहस कर दिया है. अभी हाल में जो सरकारी आंकड़े सामने आये हैं उससे पता चलता है कि भारतीय महिलाये हिंसा और शोषण की सबसे ज्यादा शिकार हैं और इसके मूल में शराब एक बड़ा कारण है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट ने देश के एक काले सच को सामने रखा है. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 82% शादीशुदा महिलाएं ऐसी हैं, जो पति की यौन हिंसा की शिकार होती हैं. वहीं, देश में 6% शादीशुदा महिलाओं ने जीवन में कभी न कभी यौन हिंसा झेली है. यानी देश में हर तीसरी महिला इस वक्त घरेलू और यौन हिंसा का शिकार हो रही है. इन आंकड़ों में से सिर्फ 14 प्रतिशत महिलाएं ही मदद मांगने के लिए आगे आई हैं.
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर, परिवेश, शराब, उम्र आदि का हवाला दिया गया है. शराब की बात करें, तो यह महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा का एक बड़ा कारण है. जहां पति शराब पीते हैं, वहां 70 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, जबकि जिन घरों में शराब का प्रचलन नहीं है, वहां केवल 23 फीसदी महिलाएं इसका शिकार हुई हैं.
घरेलू और यौन हिंसा की शिकार होने वाली महिलाएं मदद लेने में पीछे रही हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे—3 से लेकर अब तक बहुत बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. 2005-06, में ये दर 24 फीसदी थी, 2015-2017 में ये घटकर 14 फीसदी रह गई, जबकि 2019-21 में भी आंकड़ा 14 फीसदी ही रहा.
घर के अंदर महिलाओं को यौन शोषण से बचाने के लिए 2005 में घरेलू हिंसा कानून बनाया गया था. ये कानून महिलाओं को घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है. इसके अलावा हिंदू मैरिज एक्ट भी है, जिसमें पति और पत्नी की जिम्मेदारियां तय है. इसमें प्रावधान है कि सेक्स के लिए इंकार करना क्रूरता है और इस आधार पर तलाक लिया जा सकता है.
इसके बाद भी समाज और परिवार का जो दृश्य सामने आया है ,चौंकाने वाला है. यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि अगर समय रहते शराब पर अगर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाल कल और भी भयावह होगा और फिर परिवार नाम की कोई चीज नहीं रह जाएगी.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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